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* दैवीय लक्षण
असाधु शक्तिशाली है, साधु थक गया है। जिसका उपयोग करेंगे, | बिलकुल सस्ते लुटा दिए, चार रुपए में। कोई आ भी नहीं रहा था। वह थकेगा। जो नहीं थका है, जो बैठा विश्राम कर रहा है, वह | तभी अचानक बगल की गली से एक दूसरा आदमी आया एक ठेले शक्तिशाली है।
| पर बर्तन लिए और उसने कहा, क्यों लूट रहे हो लोगों को! चार इसलिए मैं कहता हूं कि परम साधु एक क्षण में परम असाधु हो | | रुपया? बर्तन तीन रुपए के हैं। सकता है, परम असाधु एक क्षण में परम साधु हो सकता है। दोनों __लोग ठहर गए। एक चिल्ला रहा था, चार रुपए! दूसरा कह रहा तरह की घटनाएं घटती रही हैं। घटने का पीछे विज्ञान है। क्योंकि था कि लूटो मत; बर्तन तीन रुपए के हैं। भीड़ तीन रुपए वाली जिसको आपने पकड़ा है, वह थक गया, ऊब गया। उससे आप दुकान पर लग गई। सब बर्तन थोड़ी ही देर में खाली हो गए। दूसरा बेचैन हो गए हैं। उसको कर-करके भी कुछ बहत पाया नहीं है। चिल्ला रहा है कि त् अपने समव्यवसायी को धोखा दे रहा है। त
इसलिए बड़े मजे की बात है, भले लोग रात सपने बुरे देखते हैं; | क्यों मेरे पीछे पड़ा है? तू क्यों मेरे ग्राहक बिगाड़े दे रहा है? बुरे लोग बुरे सपने नहीं देखते, भले सपने देखते हैं। जो थका है, थोड़ी ही देर बाद जब दूसरे के बर्तन समाप्त हो गए, वह ठेले वह रात सोता है; जो नहीं थका, वह सक्रिय होता है। ब्रह्मचारी रात | को लेकर अंदर एक गली में चला गया। दूसरा भी पहुंचा और उसने कामुकता के सपने देखता है; कामी रात सपने देखता है कि उसने कहा, तूने तो कमाल कर दिया भाई। फिर जिसके बर्तन बिलकुल बुद्ध से दीक्षा लेकर वह ब्रह्मचर्य को उपलब्ध हो गया है, वह | नहीं बिके थे, आधे-आधे फिर उन्होंने ठेले पर रख लिए। वे दोनों संन्यस्त हो रहा है।
सहयोगी हैं, साझेदार हैं। फिर दूसरी सड़क पर वही शुरू हो गया ___आपका सपना बताएगा आपको कि कौन-सा हिस्सा अनथका | शोरगुल। एक चार रुपए चिल्ला रहा है। दूसरा कह रहा है कि तीन है, जो नींद में भी नहीं सोता। उसका मतलब है, बहुत सजग है। | रुपए! मत लूटो लोगों को। वे तीन रुपए वाले बर्तन बिक रहे हैं। तो जो सजग है, शक्तिशाली है, उसका खतरा है, वह किसी भी | | बाजार में दाम दो रुपए हैं। क्षण में आपको पकड़ ले सकता है।
वह जो आपके भीतर चोर है और जो आपके भीतर अचोर है, लेकिन निरंतर मैं कहता हूं, अस्तित्व से लौटने की कोई विधि, । | | उन दोनों की कांस्पिरेसी है, दोनों साझीदार हैं। उनमें से किसी भी कोई व्यवस्था नहीं है। कोई पीछे नहीं लौटता अस्तित्व में। माया में | | एक की आपने सुनी, तो दूसरे के जाल में भी आप गिरे। तो पीछे लौटता है, क्योंकि द्वंद्व है।
| यह जरा समझना कठिन है। और यहीं से धर्म की यात्रा शुरू ___ इसलिए हमारे पास एक और शब्द है, वह शब्द साधु का | | होती है। नीति और धर्म का यही फर्क है। पर्यायवाची नहीं है। वह शब्द है, संत। संत का अर्थ है, जो न साधु नीति कहती है, भीतर जो साधु है, उसकी सुनो। धर्म कहता है, है न असाधु। जिसने दोनों का ही उपयोग करना बंद कर दिया है, दोनों की मत सुनो; सुनो भी, तो साक्षी रहो। दोनों की मानो मत, जो दोनों में से किसी को भी नहीं चुनता; जो चुनावरहित, क्योंकि उन दोनों की सांठ-गांठ है। वे दोनों एक ही धंधे में साझीदार च्वाइसलेस है। जो न बाएं को चुनता है, न दाएं को। जो दोनों का हैं। एक की सुनी, तो दूसरे के चक्कर में तुम पड़े। जब तक एक साक्षी मात्र है। उसके भीतर चोर भी बोलता है, तो उसको भी सुनता तुम्हें चूसेगा, तब तक दूसरा विश्राम करेगा। जब तुम एक से थक है। उसके भीतर साधु बोलता है, उसको भी सुनता है। मानता किसी जाओगे, दूसरा तुम पर हावी हो जाएगा। और ये दिन और रात की की भी नहीं। द्वंद्व को खड़ा नहीं होने देता। क्योंकि जब आप एक तरह अनंत जन्मों तक चल सकती है यह प्रक्रिया। यह रोज चल की मानेंगे, तों द्वंद्व खड़ा होगा। जब आप दोनों की सुनते हैं, मानते | रही है। किसी की भी नहीं; जब आप दोनों के साक्षी बने रहते हैं, विटनेस ___ सुबह आप भले आदमी होते हैं, दोपहर बुरे आदमी हो जाते हैं, बने रहते हैं; और आप कहते हैं, दोनों द्वंद्व खेल है, और ये दोनों | | सांझ भले आदमी हो जाते हैं। आप गलती में हैं अगर आप सोचते की साजिश है, और ये दोनों साथी हैं...।
हैं कि दुनिया में साधु कटे हैं और असाधु अलग हैं। ऐसा नहीं है। मैंने सुना है, एक सड़क पर एक आदमी बर्तन बेच रहा था। जो सभी के साधु क्षण हैं, सभी के असाधु क्षण हैं। बर्तन बाजार में दो रुपए में मिलते हैं, वह उनके चार-चार रुपए दाम, सुबह-सुबह आप उठे हैं, तब साधु क्षण आप पर भारी होता है; मांग रहा था। एक ठेले पर जोर से आवाज लगा रहा था कि | | भोर होती है, जीवन ताजा होता है, रातभर का विश्राम होता है,
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