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* एकाग्रता और हृदय-शुद्धि *
आइंस्टीन से मरने के पहले किसी ने पूछा कि तुम अगर दुबारा | | को, तिब्बतिओं को, चीनिओं को, पूरे पूरब को कुछ गहन सूत्र हाथ जन्म लो तो क्या करोगे? तो उसने कहा, मैं एक प्लंबर होना पसंद में आ गए। और यह बात भी साफ हो गई कि ये सूत्र गलत आदमी करूंगा बजाय एक वैज्ञानिक होने के। क्योंकि वैज्ञानिक होकर देख | | के हाथ में जाएंगे, तो खतरा है। तो उन सूत्रों को अत्यंत गुप्त कर लिया कि मेरे माध्यम से, मेरे बिना जाने, मेरी बिना आकांक्षा के, मेरे दिया। जब गुरु समझेगा शिष्य को इस योग्य, तब वह उसके कान विरोध में, मेरे ही हाथों से जो काम हुआ, उसके लिए मैं रोता हूं। | | में दे देगा। सीक्रेसी, अत्यंत गुप्तता और गुह्यता है। और वह तब
क्योंकि शक्ति तो खोजता है वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ के हाथ | | ही देगा, जब वह समझेगा कि शिष्य इस योग्य हुआ कि शक्ति का में पहुंच जाती है। और राजनीतिज्ञ शुद्ध रूप से अशुद्ध आदमी है। | दुरुपयोग न होगा। वह पूरा अशुद्ध आदमी है। क्योंकि उसकी दौड़ ही शक्ति की है। इसलिए जो भी महत्वपूर्ण है, वह शास्त्रों में नहीं लिखा हुआ है। उसकी चेष्टा ही महत्वाकांक्षा की है। दूसरों पर कैसे हावी हो जाए! | शास्त्रों में तो सिर्फ अधूरी बातें लिखी हुई हैं। कोई भी गलत आदमी
तो आइंस्टीन ने अपने अंतिम पत्रों में अपने मित्रों को लिखा है | | शास्त्र के माध्यम से कुछ भी नहीं कर सकता। शास्त्र में मूल बिंदु कि भविष्य में अब हमें सचेत हो जाना चाहिए। और हम जो खोजें. | छोड़ दिए गए हैं। जैसे सब बता दिया गया है, लेकिन चाबी शास्त्र वह गुप्त रहे।
| में नहीं है। महल का परा वर्णन है। भीतर के एक-एक कक्ष का यह खयाल पश्चिम को अब आ रहा है। लेकिन हिंदुओं को यह | वर्णन है। लेकिन ताला कहां लगा है, इसकी किसी शास्त्र में कोई खयाल आज से तीन हजार साल पहले आ गया।
चर्चा नहीं है। और चाबी का तो कोई हिसाब शास्त्र में नहीं है। चाबी पश्चिम में बहुत लोग विचार करते हैं कि हिंदुओं ने, जिन्होंने | | तो हमेशा व्यक्तिगत हाथों से गुरु शिष्य को देगा। इतनी गहरी चिंतना की, उन्होंने विज्ञान की बहत-सी बातें क्यों न | जिसको हम मंत्र कहते रहे हैं और दीक्षा कहते रहे हैं, वह गुप्तता खोजी!
| में, जो जानता है उसके द्वारा उसको चाबी दिए जाने की कला है, ___ चीन को आज से तीन हजार साल पहले यह खयाल आ गया | | जिससे खतरा नहीं है, जो दुरुपयोग नहीं करेगा; और चाबी को कि विज्ञान खतरनाक है। चीन में सबसे पहले बारूद खोजी गई। | | सम्हालकर रखेगा, जब तक कि योग्य आदमी न मिल जाए। और लेकिन चीन ने बम नहीं बनाए; फुलझड़ी-फटाके बनाए। बारूद | | अगर योग्य आदमी न मिले, तो हिंदुओं ने तय किया कि चाबी को वही है, लेकिन चीन ने फुलझड़ी-फटाके बनाकर बच्चों का खेल | | खो जाने देना; हर्जा नहीं है। जब भी योग्य आदमी होंगे, चाबी फिर किया, इससे ज्यादा उनका उपयोग नहीं किया।
खोजी जा सकती है। लेकिन गलत आदमी के हाथ में चाबी मत यह तो बिलकुल साफ है कि जो फुलझड़ी-फटाके बना सकता | देना। वह बड़ा खतरा है। और एक बार गलत आदमी के हाथ में है, उसको साफ है कि इससे आदमी की हत्या की जा सकती है। चाबी चली जाए, तो अच्छे आदमी के पैदा होने का उपाय ही क्योंकि कभी-कभी तो फुलझड़ी-फटाके से हत्या हो जाती है। हर | समाप्त हो जाता है। साल दीवाली पर न मालूम कितने बच्चे इस मुल्क में मरते हैं; | तो ज्ञान चाहे खो जाए, लेकिन गलत को मत देना। यह जो अपंग हो जाते हैं; आंख फूट जाती है; हाथ जल जाते हैं। हिंदुओं ने ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र की व्यवस्था की, उस
तो तीन हजार साल पहले चीन को फटाके बनाने की कला आ व्यवस्था में यह सारा का सारा खयाल था। ब्राह्मण के अतिरिक्त गई। बम बड़ा फटाका है। लेकिन चीन ने उस कला को उस तरफ चाबी किसी को न दी जाए। शूद्र के हाथ तक तो पहुंचने न दी जाए। जाने ही नहीं दिया, उसको खेल बना दिया। जैसे ही यूरोप में बारूद ___ शूद्र से कोई मतलब उस आदमी का नहीं, जो शूद्र घर में जन्मा पहुंची कि उन्होंने तत्काल बम बना लिया। बारूद की ईजाद पूरब | है। हिंदुओं का हिसाब बहुत अनूठा है। हिंदुओं का हिसाब यह है में हुई और बम बना पश्चिम में।
| कि पैदा तो हर आदमी शूद्र ही होता है। शूद्रता तो जन्म से सभी को हिंदुओं को, चीनिओं को तीन हजार साल पहले बहुत-से विज्ञान | मिलती है। इसलिए ब्राह्मण को हम द्विज कहते हैं। उसका दुबारा के सूत्रों का खयाल हो गया। और उन्होंने वे बिलकुल गुप्त कर जन्म होना चाहिए। वह गुरु के पास फिर से उसका जन्म होगा। दिए। वे सूत्र नहीं उपयोग करने हैं।
मां-बाप ने जो जन्म दिया, उसमें तो शूद्र ही पैदा होता है। उससे न केवल विज्ञान के संबंध में, बल्कि धर्म के संबंध में भी हिंदुओं कोई कभी ब्राह्मण पैदा नहीं होता है। और जो अपने को मां-बाप
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