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________________ * मूल-स्रोत की ओर वापसी * बच्चा कोई श्वास नहीं लेता पेट में। निर्वाण और पतंजलि की समाधि, ये गर्भ की आकांक्षाएं हैं। गर्भ और जब ऐसी घड़ी आ जाएगी, जब आपको लगेगा कि श्वास | को पुनः पाने की आकांक्षा है। उसने तो विरोध के हिसाब से कहा चलती है या नहीं चलती, पता नहीं चलता, तब आप समझना कि है। उसका तो कहना है कि यह मार्बिड स्टेट, रुग्ण अवस्था है कि अब ठीक गर्भासन की अवस्था आ गई। कभी-कभी ऐसा भी होगा कोई आदमी अपने गर्भ को फिर से पाना चाहे। लेकिन उसने बात क्षणभर को, श्वास बिलकुल रुक जाएगी। उसी क्षण आपको तो, चोट तो ठीक जगह की है। बात तो सच है। झलक मिलेगी प्रथम मूल की। यह झलक आपको मिलनी शुरू हम सभी किस बात की खोज रहे हैं? एक सोचने जैसी बात है। जाए, आप दूसरे ही व्यक्ति होने लगेंगे। हम उसी को खोज सकते हैं, जिसे हमने कभी जाना हो। नहीं तो ___ खोजना है उदगम को; खोजना है उस बिंदु को जहां से हम आते खोजेंगे भी कैसे? खोजेंगे क्यों? हैं। क्योंकि जहां से हम आते हैं, वही हमारी अंतिम मंजिल होने आप कहेंगे, आनंद की खोज करना है। लेकिन आनंद आपने वाली है, और कोई उपाय नहीं। मंजिल को तो हम नहीं खोज कभी जाना हो तभी। जिसका स्वाद ही न हो, उसकी खोज कैसे सकते, क्योंकि मंजिल बहुत दूर है। लेकिन प्रथम को हम खोज होगी? उसकी वासना भी कैसे जगेगी? आपको याद हो या न हो, सकते हैं, क्योंकि प्रथम हममें छिपा है। वह मौजूद है अभी भी, आनंद आपने कभी जाना है। नहीं तो यह स्वाद कैसा? यह चेष्टा उसको आप अपने साथ लेकर चल रहे हैं। आपने जो भी गर्भ में | कैसी? यह दौड़ किसलिए? बिलकुल अपरिचित को कोई भी नहीं जाना था, वह ज्ञान आपके भीतर पड़ा है। उसे आप अभी भी लिए | खोज सकता है। चल रहे हैं। सूफी फकीर कहते हैं, हम ईश्वर को खोज रहे हैं, क्योंकि हम जानकर आप चकित होंगे कि गहरे सम्मोहन में, हिप्नोसिस में, | | ईश्वर को जानते हैं। लोग अपने गर्भ की घटनाएं भी याद करते हैं। अगर आपकी मां गिर __ ठीक कहते हैं। जानना कहीं भीतर होना ही चाहिए, नहीं तो खोज पड़ी हो, और उसको चोट लग गई हो, और उसका धक्का आपको | नहीं हो सकती। आपने कभी ऐसे आदमी को सुना है, जो कोई ऐसी लगा हो जब आप गर्भ में थे; तो सम्मोहन की अवस्था में, बेहोश चीज को खोजने निकल जाए, जिसे वह जानता ही न हो? तो अवस्था में, आप उसको याद कर सकते हैं। याद लोग करते हैं, कि निकलेगा भी कैसे? शुरुआत कैसे होगी? जब मैं पांच महीने का गर्भ में था, तब मेरी मां गिर पड़ी थी, और __ आनंद को हम खोजते हैं, क्योंकि आनंद हमने जाना है। वह मझे चोट लगी, धक्का लगा। उस धक्के की स्मति आपको अभी भी हमारा प्रथम अनभव था। और वह इतना गहन था कि उसके बाद है। उन नौ महीने में आपने जो जाना है, वह आपके भीतर पड़ा है। हमने उससे श्रेष्ठतर कुछ भी नहीं जाना। उसके बाद वृक्ष नीचे ही और उस नौ महीने के पहले भी आप थे। उदगम और भी गहराई | जाता रहा है। इस आनंद को फिर पाना है। वह मूल की ही खोज है। में है। तब आप बिलकुल आत्मरूप थे, चाहे थोड़े ही क्षणों को। इस बात को बहुत गहराई से स्मरण में रख लें कि आपकी समाधि पिछला शरीर छूट गया था, नया शरीर मिलने में देर है, थोड़ा समय | आपके पुनः गर्भ में होने का अनुभव होगी। अगर आप पुनः गर्भ में लगा। उस बीच आप बिलकुल आत्मरूप थे, कोई देह न थी। होने का अनुभव कर लें, तो इस अवस्था को जापान के फकीरों ने उसकी भी स्मृति आ सकती है। सतोरी कहा है। यह पहली समाधि का अनुभव है, पहली झलक। फिर अनेक जन्मों की स्मृति। और फिर सारे जन्मों की स्मृति के | | और अगर आप बढ़ते ही जाएं पीछे-पीछे-पीछे, और उस जगह साथ ही इस बात का स्मरण, अतिक्रमण का, कि मेरा न तो कोई | | पहुंच जाएं, जहां यह पूरा ब्रह्मांड आपका गर्भ हो जाए और आप जन्म है और न कोई मृत्यु। इतने जन्म, इतनी मृत्युएं मेरे पड़ाव थे, | | इस गर्भ के हिस्से हो जाएं, तो उसे पतंजलि ने परम समाधि कहा मेरी यात्रा के ठहराव थे, और मैं यात्री हूं। जैसे ही यह स्मरण आता | | है। वह ब्रह्म समाधि, वह अंतिम समाधि है। पहली झलक और वह है, आप अपने मूल उदगम को उपलब्ध हो गए। और यही अंतिम | | अंतिम उपलब्धि है। जिस दिन सारा जगत गर्भ हो जाता है और लक्ष्य है। इसको बुद्ध निर्वाण कहते हैं, पतंजलि समाधि कहते हैं। आप उस गर्भ के भीतर लीन हो जाते हैं। ने बडी ही कीमत की बात कही है। किया है उसने | पर यह सूत्र बहुमूल्य है। गीता में भी इतने बहुमूल्य सूत्र कम हैं। कठोर व्यंग्य और आलोचना। उसने कहा है कि यह बुद्ध का और यह सूत्र साधक के लिए है। आगे को भूलें और पीछे को लेकि
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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