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ॐ गीता दर्शन भाग-60
तब आपके लिए गीता सत्य होती है।
शास्त्रों से सत्य नहीं मिलता, लेकिन आप शास्त्रों के गवाही बन सकते हैं। और तब शास्त्र, जो आप नहीं कह सकते, जो आपको बताना कठिन होगा, उसको बताने के माध्यम हो जाते हैं। शास्त्र केवल गवाहियां हैं जानने वालों की। और आपकी गवाही भी जब उनसे मेल खा जाती है, तभी शास्त्र से संबंध हुआ।
गीता को रट डालो, कंठस्थ कर लो। कोई संबंध न होगा। लेकिन जो गीता कहती है, वही जान लो, संबंध हो गया।
जब तक आप गीता को पढ़ रहे हैं, तब तक ज्यादा से ज्यादा आपका संबंध अर्जुन से हो सकता है। लेकिन जिस दिन आप गीता को अनुभव कर लेते हैं, उसी दिन आपका संबंध कृष्ण से हो जाता है।
पांच मिनट रुकेंगे। आखिरी दिन है। कोई बीच में उठे न। कीर्तन में पूरी तरह सम्मिलित हों। और फिर जाएं।
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