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8 मांग और प्रार्थना
हि सेक्स
ज्यादा बाधा डाले। और बाप भी ज्यादा पसंद नहीं करता कि बच्चा बच्चा नहीं रहना चाहता, क्योंकि बचपन उसे दुखद मालूम पड़ रहा इतना बीच में आ जाए कि पत्नी और उसके बीच खड़ा हो जाए। है। बचपन के अपने दुख हैं, जो आप भूल गए हैं। वे बच्चों का बाप की दोस्ती बेटे से मुश्किल से होती है। लेकिन मां की दोस्ती निरीक्षण करने से पता चलते हैं। बेटे से हमेशा होती है।
एक तो बच्चे को लगता है, वह बिलकुल परतंत्र है, कोई बेटी हो, तो बाप की दोस्ती होती है, मां की दोस्ती नहीं हो पाती। स्वतंत्रता नहीं। हर बात में किसी की हां और किसी की न को बेटी और मां के बीच सूक्ष्म कलह निर्मित हो जाती है। जैसे-जैसे | | स्वीकार करना पड़ता है। बच्चा जल्दी बड़ा होना चाहता है। यह लड़की बड़ी होने लगेगी, वैसे-वैसे मां और लड़की के बीच उपद्रव | गुलामी है। बच्चा कमजोर है; सब ताकतवर हैं उसके आस-पास। शुरू हो जाएगा। जैसे-जैसे लड़का बड़ा होने लगेगा, बाप और | | इससे उसके अहंकार को भारी ठेस लगती है। वह भी बड़ा होना लड़के के बीच उपद्रव शुरू हो जाएगा। फ्रायड
चाहता है, और कहना चाहता है, मैं भी कछ हं। हर चीज पर निर्भर जेलेसी है; यह कामवासना ही इसके पीछे मूल आधार है। । | है। खुद कुछ भी नहीं कर सकता। असहाय है, हेल्पलेस है।
बच्चा उतनी ही कामवासना से भरा है, जितना कोई और। फर्क इसलिए बच्चा सुख में नहीं हो सकता। यह सुख बूढ़े का खयाल सिर्फ इतना है कि अभी उसकी कामवासना का यंत्र तैयार हो रहा है, धारणा है, पीछे लौटकर। फिर आपको याद कितनी है? पांच है। जिस दिन यंत्र तैयार हो जाएगा, वासना फूट पड़ेगी। चौदह वर्ष | साल के पहले की तो याद होती नहीं है। मुश्किल से, कोई बहुत में, तेरह वर्ष में वासना फूट पड़ेगी। यंत्र तो बन रहा है, वासना अच्छी याददाश्त हो, तो चार साल; उसके पहले की आपको याद भीतर परी है, वह रास्ता खोज रही है। यंत्र परे होते से ही उसका नहीं होती। विस्फोट हो जाएगा।
मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि चार साल पहले की आपको याद क्यों बच्चे को हम जितनी सरलता मानकर चलते हैं, वह मानी हुई | नहीं है? स्मृति तो होनी चाहिए! आप जिंदा रहे! मां के पेट से पैदा है। और उस मानने का कारण भी अहंकार है। क्योंकि हर आदमी | | हुए, चार साल तक आप जिंदा थे, घटनाएं घटीं। उनकी स्मृति क्यों यह मानना चाहता है कि बचपन में मैं बड़ा पवित्र था। इस भ्रांति के खो जाती है? आपका मन उनकी स्मृति को खो क्यों देता है ? तो दो कारण हैं, एक तो आपको बचपन की ठीक-ठीक याद नहीं। बड़ी अनूठी बात हाथ में आई है। और वह यह कि चार साल की और दूसरा, जिंदगी इतनी बुरी है और जिंदगी इतनी बेहूदी और कष्ट जिंदगी इतनी दुखद है कि मन उसे याद नहीं करना चाहता। दुख को और संकट से भरी है कि मन कहीं न कहीं राहत खोजना चाहता | | हम भुलाना चाहते हैं। है। तो कम से कम बचपन स्वर्ग था, इसको मान लेने से थोड़ी राहत । __लेकिन हम भूल भी नहीं सकते, क्योंकि जो घट गया है, वह मिलती है।
स्मृति में दबा है। इसलिए अगर आपको बेहोश किया जाए, दो ही उपाय हैं, या तो आगे स्वर्ग माने भविष्य में, जो कि सम्मोहित, हिप्नोटाइज किया जाए, तो आपको सब याद आ जाता मुश्किल है, क्योंकि वहां मौत दिखाई पड़ती है। इसलिए आगे स्वर्ग | है। ठीक पहले दिन जब आप पैदा हुए और जो आपने पहली को मानने में बड़ा मुश्किल होता जाता है। और रोज आपकी उलझन | चीख-पुकार मचाई थी, इस दुनिया में आते ही से जो आपने दुख बढ़ती जाती है। इसलिए आगे स्वर्ग होगा, इसमें भरोसा नहीं | की पहली घोषणा की थी, उससे लेकर सब याद आ जाता है। गहरे बैठता; आगे नर्क हो सकता है। लेकिन स्वर्ग कैसे होगा आगे! रोज | सम्मोहन में आपके मन की सारी परतें उघड़ आती हैं और सब याद जब उलझन बढ़ती जाती है और जिंदगी टूटती जाती है और आदमी | आ जाता है। बूढ़ा होने लगता है, तो आगे नर्क दिखाई पड़ता है।
सम्मोहन के जो नतीजे हैं, वे ये हैं कि बचपन बहुत दुखद है। तो आदमी कहीं तो राहत चाहता है, सांत्वना चाहता है। लौटकर | | इसलिए हम उसे भूल गए हैं। जो दुखद है, उसे याद करना मन नहीं अपने बचपन में स्वर्ग को रख लेता है। तो सभी लोग बचपन की | | चाहता। जो सुखद है, उसे याद करना चाहता है। याद करते रहते हैं कि बड़ा सुखद था। यह सुखद होना एक भ्रांति | - तो हम बचपन में जो सुख है, उसको चुन लेते हैं। और जो दुख है, मन के लिए एक सांत्वना है। न तो बचपन सुखद है...। । है, उसे भूल जाते हैं। उसी सुख को इकट्ठा करके बाद में हम कहते
बच्चों से पूछे। सभी बच्चे जल्दी बड़े होना चाहते हैं। कोई बच्चा हैं, बचपन स्वर्ग था। न तो बचपन स्वर्ग है; न बचपन में कोई ऐसी
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