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________________ 8 गीता दर्शन भाग-58 पढ़ता है! एक अजनबी गांव से गुजर रहा है। मुल्ला के पास | कि मेरा लड़का संन्यासी न हो पाए? दस-पांच उसके शिष्य भी बैठे हैं। वह अजनबी भी भीड़ देखकर __ यह बहुत मजे की बात है। बुद्ध के पिता भी दूसरे संन्यासियों के वहां आ गया। उसकी बेचैनी बढ़ने लगी, जब उसने देखा कि । पैर छूने जाते थे। खुद का बेटा संन्यासी न हो जाए, इसकी चिंता में किताब उलटी रखी है और मुल्ला पढ़े जा रहा है। आखिर उससे न | पड़े हैं! आपके पड़ोस में भी कोई संन्यासी आए, तो आप पैर छूने रहा गया। सब्र रखना मुश्किल हुआ। उसने खड़े होकर कहा कि जाएंगे। आपका बेटा संन्यासी होने लगे, आप लट्ठ लेकर दरवाजे और सब तो ठीक है। आप जो कह रहे हैं, वह भी ठीक है। लेकिन पर खड़े हो जाएंगे! किताब आप उलटी रखकर पढ़ रहे हैं! यह बहुत मजे की बात है। यह संन्यास के प्रति आदर झूठा है। ___ मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा कि मैं कोई साधारण पढ़ने वाला नहीं | नहीं तो आपकी कामना यह हो कि आपका बेटा अगर कुछ भी हो हूं। किताब कैसी भी हो, उलटी हो कि सीधी हो; हो कि न हो। यह तो पहले संन्यासी हो। लेकिन वह नहीं है। यह संन्यास के प्रति किताब अपने लिए नहीं रखी है; ये लोग यहां बैठे हैं, इनके लिए आदर झूठा है, बिलकुल झूठा है। रखी है। कुरान कंठस्थ है। पढ़ने की झंझट वे उठाएं, जिन्हें कुरान बुद्ध के पिता बहुत चिंतित हुए, और उन्होंने लोगों से पूछा कि पता न हो, नसरुद्दीन ने कहा, कुरान मुझे पता है। पढ़ने की कोई | | मैं क्या करूं? कैसे रोकू इसको संन्यासी होने से? तो एक ज्योतिषी जरूरत नहीं है। | ने सलाह दी कि इसके जीवन में कभी भी दुख का अनुभव न हा यह जो पता होना है, यांत्रिक, मशीन की तरह, इससे कोई पाए। यह मरे हुए आदमी को न देखे। इसके सामने कोई बूढ़ा व्यक्ति किसी धर्म-ग्रंथ से अतृप्ति नहीं पा सकता; ऊब पाएगा, आदमी न लाया जाए। इसके सामने कोई ऐसी पीड़ा न घटे कि परेशान हो जाएगा। भय के कारण, लोभ के कारण रोज पढ़ता इसका मन जीवन से दुखी हो जाए, खिन्न हो जाए और यह विरक्त रहेगा। आशा में, आकांक्षा में, कि शायद कुछ मिले, पढ़ता रहेगा। हो जाए। ऐसा न हो। भय में, कि न पहूँ तो कोई नुकसान न हो जाए, पढ़ता रहेगा। तो बुद्ध के पिता ने सारा इंतजाम किया। ऐसे महल बनाए, जहां लेकिन कोई हार्दिक संबंध स्थापित नहीं होगा। धर्म-ग्रंथ का पाठ किसी बूढ़े के प्रवेश का निषेध था, जहां कोई बीमार अंदर नहीं जा करने पर ही पता चलता है कि अगर आप ऊबें न, तो ही आप धर्म | सकता था। फूल भी वृक्ष पर कुम्हलाने के पहले अलग कर दिए से संबंधित हो रहे हैं। आपकी प्यास रोज जगती चली जाए। जाएं, ताकि बुद्ध कुम्हलाया हुआ फूल न देख लें; कि कहीं अर्जुन कहता है कि विस्तार से मैं जान लूं, और आपके | कुम्हलाए हुए फूल को देखकर वे पूछने लगें कि अगर फूल कुम्हला अमृतमय वचनों को सुनते हुए मेरी तृप्ति नहीं होती। सोचता है, | जाता है, तो मैं भी तो कुम्हला नहीं जाऊंगा? वृक्ष के पत्ते सूखें, और सुनूं, तो तृप्ति हो जाए! इसके पहले हटा दिए जाएं, क्योंकि बुद्ध कहीं पूछ न लें कि पत्ते लेकिन आपको पता है, हर तृप्ति के बाद ऊब, बोर्डम अनिवार्य सूख जाते हैं, कहीं जीवन भी तो नहीं सूख जाएगा? मृत्यु की उन्हें है। हर तृप्ति ऊब में बदल जाती है। ऐसी कोई तृप्ति आपने जानी | खबर न मिले और जीवन की पीड़ा का उन्हें कोई बोध न हो। है, जो ऊब न बन जाए? सारा इंतजाम मजबूत था। सुंदरतम स्त्रियां बुद्ध के आस-पास गरीब आदमी धन से कभी नहीं ऊबता। ऊब ही नहीं सकता, | राज्य की इकट्ठी कर दी गईं। सुंदरतम युवतियों को बुद्ध की सेवा में क्योंकि धन होना चाहिए ऊबने के लिए। अमीर आदमी अगर सच रख दिया गया। सब सुंदर था। सब ताजा था। जब जवान था। में अमीर हो जाए, तो धन से ऊब जाता है। क्योंकि जो मिल जाता और इसी कारण बुद्ध को संन्यासी होना पड़ा। इसी कारण! यह है, उससे ऊब पैदा होती है। ज्योतिषी की कृपा से, जिसने सलाह दी थी। क्योंकि बुद्ध इस बुरी बुद्ध का जन्म हुआ, तो ज्योतिषियों ने कहा कि यह लड़का या | तरह ऊब गए इस सबसे! इस बुरी तरह ऊब गए। सुंदरतम स्त्रियां तो चक्रवर्ती सम्राट होगा या संन्यासी हो जाएगा। पिता बहुत चिंतित उपलब्ध थीं, इसलिए स्त्रियों की कोई कामना मन में न रही। सब हुए। बुढ़ापे का बेटा था। बहुत बाद उम्र में पैदा हुआ था। एक ही | सुख उपलब्ध थे, इसलिए किसी सुख की कोई वासना मन में न बेटा था। और ज्योतिषियों ने यह क्या कहा कि संन्यासी हो जाएगा | रही। कोई तकलीफ न थी, इसलिए सब सुविधाएं उबाने वाली हो या चक्रवर्ती सम्राट होगा! तो पिता ने कहा कि मैं क्या इंतजाम करूं | गईं, घबड़ाने वाली हो गईं, रिपिटीटिव हो गईं, रोज पुनरुक्त होने 1021
SR No.002408
Book TitleGita Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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