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________________ गीता दर्शन भाग-3 पहुंचाने की तरकीब है। और उस पर जो विधिवत चोट पहुंचा दे, वह जीवन की ऊर्जा उठनी शुरू हो जाती है। कुंडलिनी जागने लगती है। ऊपर की यात्रा पर आदमी निकल जाता है। सुना है मैंने कि एक छोटे से गांव में एक बहुत बड़े कारखाने में एक नई मशीन लगाई गई। महीनेभर ठीक चली और फिर अचानक बंद हो गई। कोई खराबी भी न थी । कोशिश करके हार गए इंजीनियर उस कारखाने के, लेकिन कोई रास्ता न निकला। फिर तो बड़े शहर से, राजधानी से विशेषज्ञ को बुलाना पड़ा। हजार रुपया उसके आने-जाने का खर्च हुआ। वह विशेषज्ञ आया; एक छोटी-सी हथौड़ी उसने अपनी पेटी में से निकाली और मशीन को तीन जगह, ठक ठक ठक - तीन जगह उसने किया; मशीन चल पड़ी। मालिक ने कहा कि बड़ी कृपा आपकी । आपका बिल क्या हुआ? उसने लिखा, एक हजार रुपया। मालिक ने कहा, मजाक तो नहीं कर रहे आप? तीन जगह ठक ठक ठक करने का एक हजार रुपया? आइटमवाइज बिल बनाइए। आपने और तो कुछ किया भी नहीं । ठक ठक ठक ! इसमें पहली ठक का कितना रुपया, दूसरी ठक का कितना रुपया, तीसरी ठक का कितना रुपया? आंख से मैं देख रहा हूं। उस आदमी ने बिल बनाया। उसने लिखा कि तीन ठकों का एक रुपया, टैपिंग - रुपी वन। एंड नोइंग व्हेयर टु टैप - रुपीज नाइन हंड्रेड नाइनटी नाइन । कहां — उसके नौ सौ निन्यानबे रुपए; और जहां तक ठोंक का सवाल है, एक रुपए से चल जाएगा। और उसने नीचे लिखा कि अगर आपको ज्यादा तकलीफ हो रही हो, तो टैपिंग का आप छोड़ भी सकते हैं। वह एक रुपया न भी दें। बाकी नोइंग व्हेयर टु टैप ... । ओम जो है, वह सीक्रेट है समस्त वेदों का । वह व्यक्ति के भीतर जो परमात्मा की ऊर्जा बीज में छिपी है, उसको टैप करने की तरकीब है; उसको चोट करने की तरकीब है । तो कृष्ण कहते हैं, वेदों में ओंकार। ऐसा मैं अदृश्य हूं। ऐसे दृश्य में तू मुझ अदृश्य को खोज। आज इतना ही। लेकिन कोई उठेगा नहीं। थोड़ी टैपिंग थोड़ी आपके भीतर छिपी ऊर्जा को यह संकीर्तन करके थोड़ा चोट पहुंचाएं। आप से नौ सौ निन्यानबे रुपए नहीं लिए जाएंगे। वे भी छोड़ दिए जाते हैं। रुपया तो छोड़ा ही, नौ सौ निन्यानबे भी छोड़ते हैं। लेकिन आप बैठे रहें पांच मिनट । और बैठे न रहें; ताली बजाएं। गाएं। डोलें। आनंदित हों। 362
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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