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________________ गीता दर्शन भाग-3 - सूक्ष्म होता चला जाता है; सूक्ष्म होता चला जाता है। ही बात स्मरण है कि वह आदमी अपने घर से नदी तक स्नान करने यह सारा अस्तित्व शब्दों की पर्तों से भरा हुआ है। अदृश्य पर्ते सुबह जाता था, तो घर से नदी तक का फासला पैदल चलने में जो भी शब्द कभी बोला गया है, वह रिकार्डेड है। मुश्किल से पांच मिनट का था। लेकिन उसको नदी तक पहुंचने में वह रिकार्ड के बाहर कभी नहीं जा सकता। दो घंटे लगते थे। नदी में स्नान करने में मुश्किल से, वह जिस ढंग इसलिए धर्म कहता है, ऐसा कोई बुरा शब्द मत बोलना, जो से स्नान करता था, पांच मिनट से ज्यादा लगने की कोई जरूरत न तुम्हारा रिकार्ड बन जाए। क्योंकि वह अनंत यात्रा तक तुम्हारा थी। लेकिन नदी में उसको स्नान करने में दो घंटे लगते थे। घर रिकार्ड होगा। उससे बच नहीं सकते हो फिर। उससे बचने का कोई लौटने में पांच मिनट का फासला था, लेकिन फिर दो घंटे लगते उपाय नहीं है। वह आपकी कथा है। कोई खाता-बही लिए हुए नहीं थे। असल में उस आदमी की जिंदगी सुबह और शाम नहाने में बैठा है परमात्मा कि उसमें लिख रहा है कि फलां आदमी ने क्या जाती थी। सुबह छः घंटे नहाने में, और शाम छः घंटे नहाने में! बोला। यह अस्तित्व शब्द को विनाश नहीं करता। अस्तित्व शब्द मामला क्या था? को पी जाता है और समाहित कर लेता है। मामला यह था कि वह आदमी घर से निकला कि बस, बच्चों कृष्ण कहते हैं, आकाश में मैं शब्द। की और लोगों की भीड़ उसके चारों तरफ! और लोग चिल्ला रहे सर्वाधिक आकाश में व्याप्त जो वस्तु है, वह शब्द है और सबसे हैं, राधेश्याम! राधेश्याम! और वह पत्थर फेंक रहा है। नाराज हो कम दिखाई पड़ती है। इसलिए गलत बोलने से तो बेहतर है, चुप रहा है। चिल्ला रहा है। दौड़ रहा है। राधेश्याम का दुश्मन था। रह जाना, न बोलना। तो न बोलना रिकार्ड में रहेगा कि यह आदमी | | कहता कि कहो, राम! और लोग चिल्लाते, राधेश्याम! बस, दो मौन था। जरूरी नहीं है कि मौन में जो आदमी था, वह अच्छा ही | घंटे उसको नदी तक जाने में लगते। आदमी रहा हो। लेकिन इतना तो कम से कम पक्का है कि सक्रिय | तो वह नहा रहा है, और लोग चिल्ला रहे हैं। और वह रूप से बुरा नहीं था। बीच-बीच में निकलकर आ रहा है, आधा नहाया हुआ। वह कपड़ा सुना है मैंने कि एक जहाज पर जो आदमी पहरेदारी का काम धो रहा है, और लोग चिल्ला रहे हैं। और भीड़ लगी है, और वह करता था, नया-नया आदमी, वह पहरेदारी कर रहा था। पहरेदारी भाग रहा है। न वह कपड़ा धो पाता है, न वह नहा पाता है। उसकी के बाद दूसरे दिन उसने देखा, तो कैप्टन ने जहाज के उसके रिकार्ड मुझे याद है। में लिखा हुआ है कि यह आदमी आज शराब पीए हुए था। रिकार्ड | मैं भी उसके पीछे बहुत बार नदी तक उसे छोड़ने गया हूं, और सारा खराब हो गया। नदी से उसको वापस घर तक लाया हूं। उसके पीछे मेरे भी छः घंटे आठ दिन बाद वह आदमी चुपचाप रहा-आठ दिन बाद बहुत दफे खराब हुए हैं। कैप्टन ड्यूटी पर था, तो उस आदमी ने जाकर रिकार्ड की किताब में लेकिन धीरे-धीरे मुझे खयाल आना शुरू हुआ कि वह आदमी लिखा कि आज कैप्टन शराब नहीं पीए हुए है। आज कैप्टन शराब | हाथ में पत्थर भी उठाता है, मारने को दौड़ता भी है. लेकिन जब भी नहीं पीए हुए है। लिखा तो यही कि नहीं पीए हुए है, लेकिन पता | राधेश्याम कहो, तो उसकी आंखों में कोई चमक आ जाती है। तब उससे सिर्फ इतना ही चलता है कि बाकी छः दिन पीए रहा होगा। | मुझे शक पैदा हुआ। आप चुप हैं, इससे कुछ पक्का पता नहीं चलता कि आप अच्छे | __ गांवभर में खबर थी कि वह राम का भक्त है। वह गया था एक ही आदमी हैं। छः दिन पता नहीं क्या रहे हों! बुरे होने की वजह से | | दिन नदी। मैं अपने टेंपटेशन को रोककर-क्योंकि उस आदमी को ही चुप रहे हों। लेकिन एक बात तय है कि कम से कम निष्क्रिय हैं। | । नदी तक पहुंचाना बड़ा टेंपटेशन था—किसी तरह रोककर, वह शुभ शब्दों को बोलने के लिए बड़े प्रयास किए गए हैं। मुझे | । नदी गया; मैं चोरी से उसकी दीवाल को छलांग लगाकर उसके घर अपने बचपन की एक स्मृति है, जो कभी नहीं भूलती। मेरे गांव में में गया। अपने घर में वह किसी को कभी घुसने नहीं देता था। कहते जिस आदमी का मुझे सबसे पहला स्मरण है, और शायद मरते | | हैं, जिस दिन वह मरा, उसी दिन लोग उसके घर में घुसे। वर्षों से वक्त सबसे आखिरी स्मरण रहेगा; उस आदमी का मुझे नाम भी उसके दरवाजे से किसी ने भीतर प्रवेश नहीं किया था। पता नहीं; क्योंकि बहुत छोटा था, तभी वह आदमी मर गया। एक मैंने जाकर उसके घर के भीतर देखा, तो राधाकृष्ण की मूर्ति 360
SR No.002406
Book TitleGita Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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