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आंतरिक संपदा ... 293
जीवन समस्त प्रयासों का जोड़ है / श्रृंखलाबद्ध सातत्य / पूर्वजन्म के संस्कारों का प्राकट्य / अनायास संबोधि के छिपे कारण / आखिरी तिनका-आखिरी डिग्री / संबोधि कथाः एक झेन भिक्षुणी की / अहंकार का घड़ा फूटना / एडमंड बक को अनायास हुई परमात्मा की अनुभूति / कोलेरेडो की सोने की खदानः कुछ इंच से चूकना / प्रभु की दिशा में किया गया कोई भी प्रयास व्यर्थ नहीं जाता / अचेतन मन–अतीत जन्मों का संग्रह / आत्महत्या का क्षण-संन्यास का क्षण / बुद्धपुरुष की उपस्थिति-अचेतन पर्तों का खुलना / प्रयोग की गहराई से निकले शब्द / सदगुरु के निकट वास / जब शिष्य तैयार होता है, तो सदगुरु प्रगट होते हैं / योग्यता के अनुकूल अस्तित्व देता है / अस्तित्व देता है—पर हम चूक सकते हैं / बुद्ध का मृत्यु में प्रवेश / सुभद्र का प्रश्न : बुद्ध की करुणा / आत्मिक संपदा मृत्यु में नष्ट नहीं होती / परमात्मा की एक किरण भी काफी है / अनजान मार्गों से प्रभु की कृपा का संस्पर्श / बड़े भारी शास्त्रज्ञान से योग की छोटी जिज्ञासा श्रेष्ठ है / वेद विश्व-कोश है / सब के लिए संदेश-क्षुद्र से श्रेष्ठतम तक / अदभुत सर्व स्वीकार-वेद का / सकाम उपासना-निष्काम जिज्ञासा / वेद के सर्वस्वीकार से बुद्ध, महावीर, कृष्ण-सभी चिंतित / वेद-चुनावरहित संकलन / वेद की निंदा करनी बहुत आसान है / बुद्ध और महावीर के अवैदिक धर्म / वेद में सब है-इसलिए असंगति है / कंकड़-पत्थर से हीरे-जवाहरातों तक सब संग्रहीत / शुद्धि के बाद भी साधन जरूरी / पवित्र अहंकार का खतरा / सात्विक अहंकार / योग की विधियां-मैं को काटने के लिए / बायजीद का एक सम्राट से बुहारी लगवाना / संन्यासी का भिक्षा मांगना-एक विधि है / बुद्ध का जोर-भिक्षा मांगने पर / पिता की डांट-डपट-बुद्ध को / मैं जन्मों-जन्मों का भिखारी हूँ / राहुल को वसीयत देना–भिक्षा मांगने की / सात्विक अहंकार को काटने के लिए साधन / कीर्तन भी एक साधन है।
श्रद्धावान योगी श्रेष्ठ है ... 307
योगी श्रेष्ठ है-तपस्वी से, सकाम कर्मी से / योग है अंतधिना / तपश्चर्या है बहिसाधना / तपस्वी और भोगी दोनों शरीर केंद्रित हैं / तपस्वी दमन व संघर्ष करता है शरीर से / योग अंतर-रूपांतरण है / योगी अंतसचेतना पर प्रयोग करता है / तपश्चर्या सबको दिखाई पड़ती है / कांटे पर लेटना-एक साधारण सर्कस / ध्यान का ठहर जाना योग है / योगी में भी एक सूक्ष्म अदृश्य अंतस तपश्चर्या फलित / योगी न दुख बुलाता, न सुख / आत्मपीड़क तपस्वी / पर-पीड़न-आत्मपीड़न का ही उलटा रूप / महात्मा गांधी, नीम की चटनी और लुई फिशर / गांधी के आश्रम में गोबर खाने वाले प्रोफेसर भंसाली / शास्त्रज्ञ से श्रेष्ठ है योगी / कबीर : मैं कहता आंखन देखी / पहले अनुभव फिर शास्त्र / स्वानुभव के बाद ही शास्त्र का सही अर्थ प्रगट / सकाम पूजा-प्रार्थना, जप-यज्ञादि / योग का आधार-निष्कामता / क्षत्रिय-मूलतः पर-पीड़क है / क्षत्रियों ने बड़े-बड़े तपस्वी पैदा किए / ब्राह्मण की नाजुक व्यवस्था / अर्जुन तू योगी बन / श्रद्धायुक्त योग-सरल, सहज / बिना श्रद्धा के योगाभ्यास-दूभर और लंबी यात्रा / श्रद्धा-विराट के लिए खुलापन / मैं अकेला काफी नहीं हूं / परमात्मा की सहायता-सभी के लिए प्राप्य / श्रद्धावान प्रभु-कृपा ग्रहण कर पाता है / परमात्मा का साथ हो, तो सब संभव है / संत थेरेसा का कैथेड़ल-तीन पैसे से बनना शुरू हुआ/ श्रम श्रद्धा = प्रभु-कपा = धन्यता।