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________________ mm गीता दर्शन भाग-1 - से बहुत ऊपर चिंतन की है। जिम्मेवार हैं। लेकिन यह भी बहुत पीछे से जब पर्सपेक्टिव मिलता असल में नियम तो सदा जड़ होते हैं। जड़ नियम कामचलाऊ | | है, दूरी मिलती है, तब तय होता है। होते हैं और विशेष संकट की स्थितियों में अर्थहीन हो जाते हैं। और | ठीक युद्ध के घने क्षण में अर्जुन का मन बहुत चिंतित हो उठा अर्जुन की संकट की स्थिति बहुत विशेष है। विशेषता तीन प्रकार है। कुछ साफ नहीं है, क्या हो रहा है, वह कहां तक ठीक हो रहा की है। एक तो यह है कि यह तय करना बहुत मुश्किल है कि | है। और फिर अगर यह भी तय हो कि आततायी वही हैं, तो भी उस आततायी कौन है? | तरफ सारे प्रियजन खड़े हैं। होगा, दुर्योधन आततायी होगा। लेकिन सदा ही मुश्किल है। हमें बहुत आसानी लगती है पीछे से तय | | द्रोण? द्रोण आततायी नहीं हैं। दुर्योधन आततायी होगा, लेकिन करने में कि आततायी कौन है। अगर कौरव जीत गए होते, तो | भीष्म? भीष्म आततायी नहीं हैं, उनकी गोद में ये सब बच्चे बड़े आपको पता चलता कि आततायी कौन है ? क्योंकि तब कथा और | | हुए हैं। दुश्मन एक नहीं है, दुश्मन एक बड़ी जमात है। उस जमात ढंग से लिखी गई होती, क्योंकि तब कथाकार और होते। और | में तय करना कठिन है। यही चिंता का कारण है। कथाकार तो जो विजेता है, उसके आस-पास इकट्ठे होते हैं; हारे | मनु जो नियम बना रहे हैं, वे बहुत साधारण हैं, साधारणतया हुओं के आस-पास तो इकट्टे नहीं होते। | उपयोगी हैं। लेकिन इस विशेष स्थिति में मनु काम नहीं करेंगे। कर दूसरे महायुद्ध में हिटलर हार गया, तो अब हम जानते हैं कि । | भी सकते थे, कर सकते थे एक ही हालत में कि अर्जुन इस स्थिति बुरा कौन था। लेकिन अगर हिटलर जीत जाता और चर्चिल और । | को झुठलाना चाहता, तो कहता, मनु का हवाला देता, कि ठीक है रूजवेल्ट और स्टैलिन हारते, तो हम बिलकुल पक्का जानते कि मनु ने कहा है, आततायी को मारो, मारते हैं। लेकिन वह कोई बहुत बुरा कोई दूसरा था। स्थितियां गुजर जाने पर पीछे से जो हम सोच बड़ा विचारपूर्ण कदम न होता। और एक तो बात पक्की थी कि पाते हैं, वह ठीक स्थितियों के बीच में इतना तय नहीं होता है। विचारपूर्ण इसलिए भी न होता कि यह गीता आपको उपलब्ध न आमतौर से इतिहास लिखने वाला आदमी विजेताओं का इतिहास | | होती। यह गीता उपलब्ध हो सकी है अर्जुन के मंथन से, मनन से, लिखता है। और आमतौर से इतिहास विजेताओं के आस-पास | | उसकी विचारणा से, उसकी जिज्ञासा से। चीजों को सीधा स्वीकार क्रिस्टलाइज होता है। | कर लिया होता, तो ठीक था, युद्ध होता, कोई जीतता, कोई हारता। . तो आज हम जानते हैं कि कौरव आततायी थे। लेकिन ठीक युद्ध युद्ध होता है तो कोई जीतता है, कोई हारता है। कहानी बनती है, के क्षण में, कौन आततायी है, किसने बरा किया है, यह मामला। कथा बनती है। इतना दो और दो चार जैसा साफ नहीं होता। कभी साफ नहीं होता। महाभारत उतना महत्वपूर्ण सिद्ध नहीं हुआ है, जितनी गीता चीन कहे चला जाता है कि हमला हिंदुस्तान ने उस पर किया | | महत्वपूर्ण सिद्ध हुई है। महाभारत तो हुआ और समाप्त हो गया। था। हिंदुस्तान कहे चला जाता है कि चीन ने हमला उस पर किया | | गीता का समाप्त होना मुश्किल है। महाभारत तो एक घटना रह गई था। कभी यह तय नहीं होगा कि किसने हमला किया था। आज | | है। और समय बीतता जाता है और भूलता चला जाता है। बल्कि तक कभी तय नहीं हो पाया कि कौन हमलावर है। हां, जो जीत | सच तो यह है कि महाभारत याद ही इसलिए रह गया कि उसमें जाता है, वह इतिहास लिख लेता है। हारा हुआ हमलावर तय हो | गीता भी घटी, नहीं तो महाभारत याद रहने जैसा भी नहीं था। जाता है। जो हार जाता है, वह इतिहास नहीं लिख पाता है। । हजारों युद्ध हुए हैं। आदमी ने तीन हजार साल में चौदह हजार क्या हार जाना ही हमलावर होने का सबत है? पीछे से तय यद किए हैं। लेकिन यद्ध. ठीक है. एक छोटा-सा फटनोट बन करना सदा आसान है, क्योंकि तब रेखाएं बंध गई होती हैं। लेकिन | जाता है इतिहास में। लेकिन युद्ध से भी बड़ी घटना गीता बन गई ठीक परिस्थिति के बीच इतना आसान नहीं है। है। वह महाभारत का जो युद्ध था, उससे भी महत्वपूर्ण घटना गीता भूल-चूक सदा दोनों तरफ होती है; मात्राओं में फर्क हो सकते | बन गई है। आज अगर महाभारत याद है, तो गीता के कारण याद हैं, लेकिन इकतरफा नहीं होती। ऐसा नहीं है कि कौरव ही एकदम है; गीता महाभारत के कारण याद नहीं है। . जिम्मेवार हैं सारे पाप के लिए, और पांडव बिलकुल नहीं हैं। ऐसा | और इसलिए यह भी आपसे कहना चाहूंगा, इस जगत में नहीं है। मात्राओं के फर्क होते हैं। यह हो सकता है, कौरव ज्यादा घटनाओं का मूल्य नहीं, इस जगत में विचारणाओं का मूल्य है।
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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