SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 437
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ + अहंकार का भ्रम HAM चलता है। अगर नाम छीन लिए जाएं, तो सचाई तो यही है कि नाम | एकदम से बंद नहीं हो सकता। एकदम से बंद हो जाए, तो खतरा किसी का कोई भी नहीं है। सब बिना नाम के हैं। लेकिन बड़ी | भी है; धीरे-धीरे, धीरे-धीरे उतरेगा। जैसे धीरे-धीरे चढ़ा, वैसे कठिनाई हो जाएगी। जिस जगत में हम जीते हैं संबंधों के, जिस धीरे-धीरे उतरेगा। अब आप भलीभांति जानते हैं कि बड़ी अजीब माया के जगत में हम जीते हैं, उस जगत में झूठे नाम बड़े काम के | बात है--सपना और हृदय को धड़का जाता है! हृदय बहुत सच हैं। और कोई चीज काम की हो. इसीलिए सच नहीं हो जाती। और है और सपना बिलकल झठ है। कोई चीज काम में न आती हो, इसीलिए झूठ नहीं हो जाती। नाम जिंदगीभर काम देता है। लेकिन आपका नाम दूसरों के लिए यूटिलिटी और ट्रथ में फर्क है; उपयोगिता और सत्य में फर्क है।। काम देता है, आपके लिए काम नहीं देता। तो आपको स्वयं को बहुत-सी झूठी चीजें उपयोगी होती हैं। बुलाने के लिए भी तो कोई इशारा चाहिए, वह इशारा मैं, ईगो, घर में मिठाई रखी है और बच्चे को हम कह देते हैं, भूत है, अहंकार है। तो दो तरह के नाम हैं। एक नाम जो मेरा दूसरों के भीतर मत जाना। भूत होता नहीं, मिठाई होती है; लेकिन बच्चा | बुलाने के लिए है—वह मेरा नाम; और एक जो मैं स्वयं अपने को भीतर नहीं जाता। भूत का होना काम करता है, यूटिलिटेरियन है, बुलाऊंगा-मैं। अन्यथा बड़ी मुश्किल हो जाएगी कि मैं कौन हूं। उपयोगिता तो सिद्ध हो जाती है। और बच्चे को अगर समझाते कि और अगर मैं अपना नाम बुलाऊं, तो आपको समझने में मुश्किल मिठाई के खाने से क्या-क्या दोष हैं, और मिठाई के खाने से | | होगी कि मैं किसके बाबत कह रहा हूं, अपने बाबत या दूसरों के क्या-क्या हानियां हैं, और मिठाई के खाने से क्या-क्या बीमारियां | बाबत। इसलिए मैं सबके लिए काम कर जाता है। प्रत्येक व्यक्ति होंगी, तो वे सब बेकार थीं। वे सच थीं, लेकिन वे कारगर नहीं थीं। अपने लिए मैं कहता है, वह कामन नेम है खुद के लिए। और दूसरे बच्चे के लिए तो बिलकुल अर्थ की नहीं थीं। भूत काम कर जाता के लिए, उपयोग के लिए एक नाम है। इसलिए हो भी सकता है, है; बच्चा कमरे के भीतर नहीं जा पाता। जो भूत नहीं है, वह मिठाई आप अपना नाम कभी भूल जाएं, लेकिन मैं को आप कभी नहीं और बच्चे के बीच खड़ा हो जाता है। उपयोगी है। भूल सकते। क्योंकि आपका नाम दूसरे लोग उपयोग करते हैं, वह नाम बिलकुल नहीं है, लेकिन आपके और जगत के बीच एक | उनको याद रहता है। आप तो सिर्फ मैं का ही उपयोग करते हैं। लेबल की जरूरत है, अन्यथा मुश्किल और कठिनाई हो जाती। ___ मैंने सुना है, पहले महायुद्ध में अमेरिका में पहली बार राशनिंग एक भत खडा हम कर देते हैं कि इसका नाम राम. इसका नाम हई। और एडिसन, एक बडा वैज्ञानिक, उसको भी अपना कृष्ण, इसका नाम अर्जुन, इसका नाम यह, उसका नाम वह। नाम राशनकार्ड लेकर और राशन के लिए क्यू में खड़ा होना पड़ा। एक झूठ है। लेकिन नाम गहरे उतर जाता है। और इतना गहरे उतर लेकिन एडिसन बहुत बड़ा वैज्ञानिक था। कोई एक हजार उसने जाता है कि आपको नींद में भी पता होता है कि आपका नाम क्या आविष्कार किए। शायद पृथ्वी पर किसी दूसरे आदमी ने इतने है, बेहोशी में भी पता होता है कि आपका नाम क्या है! जो नहीं है, | आविष्कार नहीं किए। गहन से गहन प्रतिभा का मनुष्य था। सैकड़ों वह भी पता होता है। आपके नाम को कोई गाली दे दे, तो खून में | लोग उसे आदर देते थे। तो कोई उसका नाम तो कभी लेता नहीं जहर दौड़ जाता है। अब नाम बिलकुल झूठ है, लेकिन खून में था। तीस साल से उसने अपना नाम नहीं सुना था सीधा, कि किसी दौड़ने वाला जहर बिलकुल सच है। | ने कहा हो, एडिसन। कोई उसको प्रोफेसर कहता, कोई उसको कुछ यह करीब-करीब ऐसे होता है जैसे सपने में आप डर गए और | कहता। लेकिन नाम तो उसका कोई सीधा नहीं लेता था। क्यू में एक जंगली जानवर ने आपकी छाती पर पंजा रख दिया। अब नींद खड़ा है। उसका कार्ड लगा हुआ है राशन का। खुल गई। अब पता चल गया कि सपना है, लेकिन पसीना अभी । जब उसके कार्ड का नंबर आया और क्यू में वह सामने आया, भी बहे चला जाता है और छाती अभी भी धड़के चली जाती है। तो कार्ड वाले क्लर्क ने चश्मा ऊपर उठाकर आवाज लगाई कि अब मालूम है कि सपना था, कोई जंगली जानवर नहीं है। अपने | थामस अल्वा एडिसन कौन है? वे सज्जन खड़े ही रहे, एडिसन घर में सोए हुए हैं। दरवाजा बंद है, कहीं कोई नहीं दिखाई पड़ता, | खड़े ही रहे। फिर उसने दुबारा कहा कि भई, यह कौन आदमी है बिजली जल रही है, लेकिन अभी धड़कन जारी है। वक्त लगेगा, एडिसन, आगे आओ। तब क्य में से किसी ने झांककर देखा और मोमेंटम पकड़ गया। हृदय धड़कने लगा। धड़केगा थोड़ी देर। उसने कहा कि मालूम होता है, जो आदमी सामने खड़ा है, वह 1407
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy