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________________ - विचारवान अर्जुन और युद्ध का धर्मसंकट + देखा कि वह सवाल हल कर रही है। वह नींद में उठी है रात में और | जाएगा? पानी में लेटने से कोई बुद्धि बढ़ जाती है? जो कपड़े पहने उसने सवाल हल किया है। फिर तो यह उसकी व्यवस्थित विधि हो | | हल नहीं हुआ था, वह नंगे होने से हल हो जाएगा? गई कि जब कोई सवाल हल न हो, तब वह उसे तकिए के नीचे नहीं, कुछ और घटना घट गई है। यह व्यक्ति नहीं रहा कुछ देर दबाकर सो जाए; रात उठकर हल कर ले। | के लिए, अव्यक्ति हो गया। यह कुछ देर के लिए ब्रह्म के स्रोत में दिनभर तो मैडम क्यूरी इंडिविजुअल थी, व्यक्ति थी। रात नींद खो गया। में अहं खो जाता है, बूंद सागर से मिल जाती है। और जो सवाल ___ अगर हम जगत के सारे बड़े वैज्ञानिकों के—आइंस्टीन के, हमारा चेतन मन नहीं खोज पाया, वह हमारा अचेतन, गहरे में जो | मैक्स प्लांक के या एडिंग्टन के या एडीसन के-इनके अगर हम परमात्मा से जुड़ा है, खोज पाता है। अनुभव पढ़ें, तो इन सब का अनुभव यह है कि जो भी हमने जाना, आर्किमिडीज एक सवाल हल कर रहा था, वह हल नहीं होता | वह हमने नहीं जाना। निरंतर ही ऐसा हुआ है कि जब हमने जाना, था। वह बड़ी मुश्किल में पड़ गया था। सम्राट ने कहा था, हल | तब हम न थे और जानना घटित हुआ है। यही उपनिषद के ऋषि करके ही लाओ। आर्किमिडीज की सारी प्रतिष्ठा हल करने पर ही | | कहते हैं, यही वेद के ऋषि कहते हैं, यही मोहम्मद कहते हैं, यही निर्भर थी, लेकिन थक गया। रोज सम्राट का संदेश आता है कि जीसस कहते हैं। कब तक हल करोगे? अगर हम कहते हैं कि वेद अपौरुषेय हैं, तो उसका और कोई सम्राट को किसी ने एक सोने का बहत कीमती आभषण भेंट मतलब नहीं। उसका यह मतलब नहीं कि ईश्वर उतरा और उसने किया था। लेकिन सम्राट को शक था कि धोखा दिया गया है, और किताब लिखी। ऐसी पागलपन की बातें करने की कोई जरूरत नहीं सोने में कुछ मिला है। लेकिन बिना आभूषण को मिटाए पता है। अपौरुषेय का इतना ही मतलब है कि जिस पुरुष पर यह घटना लगाना है कि उसमें कोई और धातु तो नहीं मिली है! अब उस वक्त घटी, उस वक्त वह मौजूद नहीं था; उस वक्त मैं मौजूद नहीं था। तक कोई उपाय नहीं था जानने का। और बड़ा था आभूषण। उसमें जब यह घटना घटी, जब यह उपनिषद का वचन उतरा किसी पर कहीं बीच में अगर अंदर कोई चीज डाल दी गई हो, तो वजन तो और जब यह मोहम्मद पर कुरान उतरी और जब ये बाइबिल के बढ़ ही जाएगा। वचन जीसस पर उतरे, तो वे मौजूद नहीं थे। आर्किमिडीज थक गया, परेशान हो गया। फिर एक दिन सुबह धर्म और विज्ञान के अनुभव भिन्न-भिन्न नहीं हैं; हो नहीं सकते; अपने टब में लेटा हुआ है, पड़ा हुआ है! बस, अचानक, नंगा ही क्योंकि अगर विज्ञान में कोई सत्य उतरता है, तो उसके उतरने का था, सवाल हल हो गया। भागा! भूल गया—आर्किमिडीज अगर भी मार्ग वही है जो धर्म में उतरता है, जो धर्म के उतरने का मार्ग है। होता, तो कभी न भूलता कि मैं नंगा हूं-सड़क पर आ गया। और सत्य के उतरने का एक ही मार्ग है, जब व्यक्ति नहीं होता तो चिल्लाने लगा, इरेका, इरेका, मिल गया। और भागा राजमहल की परमात्मा से सत्य उतरता है; हमारे भीतर जगह खाली हो जाती है, तरफ। लोगों ने पकड़ा कि क्या कर रहे हो? राजा के सामने नंगे| उस खाली जगह में सत्य प्रवेश करता है। पहुंच जाओगे? उसने कहा, लेकिन यह तो मुझे खयाल ही न रहा! | दुनिया में कोई भी ढंग से-चाहे कोई संगीतज्ञ, चाहे कोई घर वापिस आया। चित्रकार, चाहे कोई कवि, चाहे कोई वैज्ञानिक, चाहे कोई धार्मिक, यह जो आदमी सड़क पर पहुंच गया था नग्न, यह आर्किमिडीज चाहे कोई मिस्टिक–दुनिया में जिन्होंने भी सत्य की कोई किरण नहीं था। आर्किमिडीज सड़क पर नहीं पहुंच सकता था। यह व्यक्ति | | पाई है, उन्होंने तभी पाई है, जब वे स्वयं नहीं थे। यह धर्म को तो नहीं था। और यह जो हल हुआ था सवाल, यह व्यक्ति की चेतना | | बहत पहले से खयाल में आ गया। लेकिन धर्म का अनुभव दस में हल नहीं हुआ था। यह निर्व्यक्ति-चेतना में हल हुआ था। वह हजार साल पराना है। दस हजार साल में धार्मिक-फकीर को. बाथरूम में पड़ा था अपने टब में-रिलैक्स्ड, शिथिल। ध्यान घट धार्मिक-संत को, धार्मिक-योगी को यह अनुभव हुआ कि यह मैं गया, भीतर उतर गया-सवाल हल हो गया। जो सवाल स्वयं से | नहीं हूं। हल न हुआ था, वह टब ने हल कर दिया? टब हल करेगा सवाल यह बड़ी मुश्किल बात है। जब पहली दफा आपके भीतर को? जो स्वयं से हल नहीं हुआ था, वह पानी में लेटने से हल हो | परमात्मा से कुछ आता है, तब डिस्टिंक्शन करना बहुत मुश्किल
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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