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बाधा है-वहां आकर्षण का जन्म / स्त्री-पुरुष की कामुकता-सामाजिक बाधाओं का परिणाम / असुविधाएं खड़ी करो-अगर मोह पैदा करना है तो / निषेध में निमंत्रण है / क्रोध प्रतिकार है-प्रक्षेप नहीं / मोह प्रक्षेपक है-अंधा कर देता है / क्रोध पागल कर देता है और मोह-अंधा / क्रोध से वापसी सरल-मोह से कठिन / जहां मोह है, वासना है-वहां प्रेम नहीं / मोह के बाद विक्षिप्तता और प्रेम के बाद विमुक्ति / मोह के कारण तथ्य दिखाई नहीं पड़ता / मोह से स्मृति का नाश और स्मृति के नाश से बुद्धि का नाश / बुद्धिनाश है-आध्यात्मिक दरिद्रता / हम वस्तुओं को बचा लेते हैं
और स्वयं को खो देते हैं / पश्चिम का मनोविज्ञान अभी काम के आस-पास ही भटक रहा है / पुरुष अर्थात शरीररूपी गांव में रहने वाला / आनंद अर्थात स्वयं में केंद्रित होना, दुख अर्थात पर-केंद्रित होना।
विषाद की खाई से ब्राह्मी-स्थिति के शिखर तक ... 281
____ अंतःकरण की शुद्धि से विक्षेप खो जाते हैं / क्या कारण है और क्या कार्य—यह समझना अत्यंत जरूरी / अंतःकरण शुद्ध कैसे होगा? अंतःकरण को जानना है तो पता चलेगा कि वह शुद्ध ही है / अंधेरे से लड़ना नहीं—प्रकाश को जलाना है / अंतःकरण को शुद्ध करने की चेष्टा खतरनाक / अंतःकरण-कांशिएंस नहीं है / कांशिएंस-समाज के द्वारा हमारे भीतर डाली गई धारणाओं का नाम है / अंतःकरण अर्थात आत्मा का निकटतम उपकरण / आत्मा की निकटता में ही अंतःकरण की शुद्धि है / नैतिकताएं हजार हैं-अंतःकरण एक है / जितनी दूरी आत्मा से-उतनी ज्यादा अशुद्धि की संभावना / साधना की सीढ़ियां : शरीर, इंद्रियां, अंतस-इंद्रियां, स्मृति, प्रायोगिक बुद्धि, अप्रायोगिक बुद्धि, अंतःकरण, आत्मा, परमात्मा / सांख्य का मौलिक साधना-सूत्र : दृश्य और द्रष्टा भिन्न हैं / अंतःकरण की ओर लौटना एक यात्रा है-शुद्धि की प्रक्रिया नहीं / स्वयं से अलग होने का सपना / भावुकता-भावना नहीं है / स्वयं से जुड़ने पर भावना का जन्म / शांति अर्थात इनर हार्मनी-आत्म-तृप्ति / विषय-वासना की आंधियों में कंपता हुआ मन / आंधियां रोकनी नहीं पड़ती-सिर्फ चलानी पड़ती हैं / हमारा सहयोग मांगती है-वासना / वासना को शक्ति न दें, तो निर्वासना फलित / ज्ञानी पुरुष नींद में भी जागा रहता है / मूर्छा का आभा-मंडल / ज्ञानी पुरुषों के चारों ओर जागरण का एक आभा-मंडल / नींद में चलते हुए लोगों का उपद्रव / नींद का केंद्र है-मैं; जागरण का केंद्र है-निरहंकार भाव / धन्य हैं वे जो विषाद को उपलब्ध होते हैं / विषाद का सृजनात्मक उपयोग / ज्ञान अभिशाप को वरदान बना लेता है / कृष्ण का सजनात्मक मनोविज्ञान-कोयले को हीरा बनाने का।