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जरथुस्त्रः नाचता-गाता मसीहा (जरथुस्त्र)
धरमदास जस पनिहार धरे सिर गागर का सोवै दिन रैन
मलूकदास कन थोरे कांकर घने रामदुवारे जो मरे
दरिया कानों सुनी सो झूठ सब अमी झरत बिगसत कंवल
झेन, सूफी और उपनिषद की कहानियां बिन बाती बिन तेल सहज समाधि भली. दीया तले अंधेरा
अन्य रहस्यदर्शी भक्ति -सूत्र (नारद) शिव-सूत्र (शिव) भजगोविन्दम् मूढमते (आदिशंकराचार्य) एक ओंकार सतनाम (नानक) जगत तरैया भोर की (दयाबाई) बिन घन परत फुहार (सहजोबाई) नहीं सांझ नहीं भोर (चरणदास) संतो, मगन भया मन मेरा (रज्जब) कहै वाजिद पुकार (वाजिद) मरौ हे जोगी मरौ (गोरख) सहज-योग (सरहपा-तिलोपा) बिरहिनी मंदिर दियना बार (यारी) दरिया कहै सब्द निरबाना (दरियादास बिहारवाले) प्रेम-रंग-रस ओढ़ चदरिया (दूलन) हंसा तो मोती चुसें (लाल) गुरु-परताप साध की संगति (भीखा) मन ही पूजा मन ही धूप (रैदास)
झरत दसहं दिस मोती (गुलाल) V300
प्रश्नोत्तर नहिं राम बिन ठांव प्रेम-पंथ ऐसो कठिन उत्सव आमार जाति, आनंद आमार गोत्र मृत्योर्मा अमृतं गमय प्रीतम छवि नैनन बसी रहिमन धागा प्रेम का उड़ियो पंख पसार सुमिरन मेरा हरि करें पिय को खोजन मैं चली साहेब मिल साहेब भये जो बोलैं तो हरिकथा बहुरि न ऐसा दांव ज्यूं था त्यूं ठहराया ज्यूं मछली बिन नीर दीपक बारा नाम का अनहद में बिसराम लगन महूरत झूठ सब सहज आसिकी नाहिं पीवत रामरस लगी खुमारी रामनाम जान्यो नहीं सांच सांच सो सांच आपुई गई हिराय बहुतेरे हैं घाट कोंपलें फिर फूट आईं फिर पत्तों की पांजेब बजी फिर अमरित की बूंद पड़ी चेति सके तो चेति क्या सोवै तू बावरी एक एक कदम चल हंसा उस देस कहा कहूं उस देस की पंथ प्रेम को अटपटो मूलभूत मानवीय अधिकार