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________________ भ्रांति भंजन, कामादि वृत्ति दहन, अनाहत मंत्र और अक्रिया में प्रतिष्ठा कल होगा, इसका कोई निश्चय नहीं है। लेकिन हम कल का इंतजाम करके सोते हैं। नहीं तो रात सोना ही मुश्किल हो जाएगा। यह सवाल कल के इंतजाम का इतना महत्वपूर्ण नहीं है, आज की रात सोने का सवाल है। कल का इंतजाम कर लेते हैं, और कल होगा ही, ऐसी मान्यता मन में रख लेते हैं, तो रात नींद आसानी से आ जाती है। अगर पक्का हो जाए कि कल सुबह नहीं होगी, कल सुबह मौत है, तो कल सुबह मौत होगी कि नहीं होगी, यह बड़ा सवाल नहीं है, आज की नींद खराब हो जाएगी। फिर आज सोया नहीं जा सकता। तो सोना हो, तो कल का भ्रम बनाए रखना जरूरी है। अगर जिंदगी के दुखों को गुजारना हो, तो भविष्य की आशा को जिलाए रखना जरूरी है कि कोई बात नहीं, सुख मिलेगा। अगर इस मकान में नहीं मिला, दूसरे मकान में मिलेगा। अगर इस व्यक्ति से नहीं मिला, दूसरे व्यक्ति से मिलेगा। आज नहीं मिला, कल मिलेगा। फ्यूचर ओरिएंटेशन, भविष्य की तरफ आशाओं को दौड़ाए रखना जरूरी है। मनोवैज्ञानिक एक बहुत कीमती बात कहते हैं, जो बहुत नई खोज है एक अर्थों में, पहले कभी किसी ने नहीं खयाल किया था। रात आप सपने देखते हैं, तो आप सोचते होंगे कि सपनों से नींद में बाधा पड़ती है। ऐसा सदा सोचा जाता रहा है। कई आदमी मेरे पास भी आते हैं। वे कहते हैं, रात बहुत सपने आते हैं, तो नींद ठीक से नहीं हो पाती। सभी का यह खयाल है। . लेकिने मनोवैज्ञानिक ज्यादा अनुभव पर हैं। और वे कहते हैं कि अगर सपने न हों, तो आप सो ही न पाएं। वे बहुत उलटी बात कहते हैं। वे कहते हैं, सपने जो हैं, वे नींद में बाधा नहीं हैं, सहयोगी हैं। नींद टूट ही जाए, अगर सपने न हों तो। नींद को सतत जारी रखने के लिए सपने काम करते हैं। समझ लें, तो खयाल में आ जाएगा। . आपको प्यास लगी है जोर से नींद में। आप एक सपना देखना शुरू कर देंगे कि पानी पी रहे हैं। झरना बह रहा है, झरने के पास बैठे पानी पी रहे हैं। अगर यह सपना न आए, तो प्यास आपकी नींद तोड़ देगी। आपको उठकर पानी पीने जाना पड़ेगा। नींद में बाधा पड़ जाएगी। यह सपना जो है, एक इल्यूजन पैदा करता है। कहता है, कहां जाने की जरूरत है, नींद टूटने का तो कोई सवाल ही नहीं। झरना यह रहा, पीयो। भूख लगी है, राजमहल में निमंत्रण मिल जाता है। नहीं तो भूख नींद को तोड़ देगी। सपना सब्स्टीट्यूट है और नींद को सम्हालने का उपाय है। ठीक ऐसे ही जिंदगी में भी भ्रांति जागरण को सम्हालने का उपाय है। जिसे हम जागरण कहते हैं, उसके आसपास भ्रांति चाहिए, नहीं तो हम मुश्किल में पड़ जाएंगे। मुल्ला नसरुद्दीन एक स्त्री के प्रेम में पड़ गया है। वह सम्राट की पत्नी है। मुल्ला उससे बिदा हो रहा है। रात चार बजे उसने उससे कहा कि तुझसे सुंदर स्त्री मैंने अपने जीवन में न देखी और न मैं सोच भी सकता हूं कि तुझसे सुंदर स्त्री हो सकती है। तू अनूठी है। तू परमात्मा की अदभुत कृति है। स्त्री फूल गई, जैसा कि सभी स्त्रियां फूल जाती हैं। उस क्षण जमीन पर उसके पैर न रहे। लेकिन मुल्ला मुल्ला ही था। जब उसने उसे इतना फूला देखा, उसने कहा, लेकिन एक बात और, जस्ट फार योर इन्फार्मेशन कि यह बात मैं और स्त्रियों से भी पहले कह चुका हूं। और वायदा नहीं कर सकता कि आगे और स्त्रियों से नहीं कहूंगा। 2677
SR No.002398
Book TitleNirvan Upnishad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1992
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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