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एस धम्मो सनंतनो
देने की भावदशा रहे ।
दान तो उसने थोड़ा दिया था, बुद्ध ने कहा, पर दान देकर पछताया बहुत । जितना दिया था, उससे अनंत गुना पछताया। ऐसे एक बीज तो अमृत का बोया और हजार बीज उसी के आसपास जहर के बो दिए। अमृत का वृक्ष भी बड़ा हुआ, जहर के फूल भी लगे । तो वह जहर की बागुड़ में घिर गया अमृत का वृक्ष । जहरीले फलों ने सब तरफ से कंटीली झाड़ियों की तरह अमृत के वृक्ष को घेर लिया। वे बहुत थे।
उस पछतावे के कारण ही उसका मन फिर अच्छा खाने-पहनने में नहीं लगता था। यह उसी जन्म से शुरू हो गया। दे आया होगा कुछ दान, अब सोचता होगा: कैसे उतना दान निकाल लूं वापस ! कहां से निकालूं? तो चलो, थोड़ा कम खाओ, थोड़ा कम पहनो । इस वर्ष नहीं बनाएंगे नया कोट सर्दियों में, तो चलेगा। पुराना बिलकुल ठीक है । और नहीं लेंगे नया रथ । अब लोग कारें लेते हैं, तब रथ लेते थे ! नहीं लेंगे नया रथ, नया माडल नहीं लेंगे। पुराने ही माडल से एक साल और खींच लेंगे। थोड़ा इसी में टीम -टाम, रंग वगैरह करवा लो। यह घोड़ा यद्यपि बूढ़ा हो गया है, लेकिन अभी दो साल और चल जाएगा।
वह जो दान कर आया था, उसको बचाना जरूरी है। तो उसको रस चला गया खाने-पहनने में। और वह जो रस गया, सो गया। वह अभी तक नहीं लौटा। अनंत जन्म बीत गए होंगे इस बीच, क्योंकि तगरशिखी बुद्ध गौतम बुद्ध से कोई पांच हजार साल पहले थे। कितने जन्म इस आदमी के हो गए होंगे !
लेकिन खयाल रखना : गंगोत्री में गंगा बड़ी छोटी है, गो-मुख से गिरती है। फिर गंगासागर में जाकर बहुत बड़ी हो जाती है, सागर हो जाती है। ऐसे ही जीवन है तुम्हारा । जो किया है, वह रोज बड़ा होता जाता है।
एक - एक कृत्य सोचकर करना, एक-एक कृत्य ध्यानपूर्वक करना, नहीं तो बहुत पछताओगे। अशुभ से बच सको, तो अच्छा। शुभ कर सको, तो अच्छा। और एक ही बात से तौल लेना : अहंकार और निरअहंकार। जिस बात से भी अहंकार को पुष्टि मिलती हो, समझ लेना कि कुछ गलत करने जा रहे हो। और जिस बात से भी अहंकार गलता हो, विसर्जित होता हो, समझ लेना कि पुण्य हो रहा है। क्योंकि मौलिक रूप से एक ही पाप है— अहंकार ।
उस पछतावे के कारण रुपया हाथ से छोड़ने की इसकी क्षमता ही चली गयी। दूसरों के लिए तो सवाल ही नहीं रहा, यह अपने लिए भी अब कठिन हो गया इसे
इसने संपत्ति के लिए ही अपने भाई के मरने पर उसके इकलौते बेटे को भी जंगल में ले जाकर मार डाला - कि उसकी संपत्ति भी इसे मिल जाए।
इसका बेटा नहीं है कोई। यह निःसंतान है । इसके पास अपना बहुत है। लेकिन भाई का भी मिल जाए; तो उसके बेटे को मार डाला !
जो इतना कठोर हो गया कि अपने भाई के बेटे को मार सका...! और कोई
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