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दर्पण बनो
चौबीस तीर्थंकर राजाओं के बेटे हैं! क्या मामला है ? क्यों राजाओं के बेटों ने छोड़ा? जरूर इनको निर्धनता कुछ ऐसी दिखी, जैसी भिखमंगों को नहीं दिखती। इनको सफलता में असफलता दिखी विराजमान। इनको सुख के बीच दुख खड़ा दिखा, शिखर की तरह, पहाड़ की तरह, उत्तुंग, आकाश को छूता हुआ।
तुम कहते हो : 'मैं निराशा में डूबा जा रहा हूं।' ।
तुम डूबना नहीं चाहते। तुम चाहते हो कि मैं कुछ कागज की नावें तुम्हारे लिए तैरा दूं। ऐसा पाप मैं न करूंगा। तुम गलत जगह आ गए। तुम जाओ किन्हीं पुराने ढब के साधु-संन्यासियों के पास, जो तुम्हें आशीर्वाद दें। वे कहें : घबड़ाओ मत। यह लो ताबीज। लाटरी पक्का है मिलना। एक दफा और दांव लगा दो।
मेरे पास तो अगर लाटरी तुम्हें मिल भी रही हो, तो ऐसा आशीर्वाद दंगा कि कभी न मिले। क्योंकि व्यर्थ के जाल में तुम उलझ जाओगे। तुम और कष्ट में पड़ जाओगे।
निराशा आ रही है, अंगीकार कर लो। हृदय खुला छोड़ दो। दरवाजे बंद मत करो। स्वागत करो, बंदनवार बांधो। कहो कि आओ, विराजो! - आशा के साथ बहुत दिन रह लिए, कुछ पाया नहीं। अब निराशा से भी दोस्ती करके देखो। कौन जाने, जो आशा से नहीं हुआ, वह निराशा से हो जाए! और मैं तुमसे कहता हूं : होता है। जो आशा से नहीं होता, वह निराशा से होता है। जहां आशा हार जाती है, वहां निराशा जीत जाती है।
और क्या है जीत निराशा की? अगर तुम परिपूर्ण मन से निराशा को स्वीकार कर लो, उसका मतलब है : अब और आशा नहीं करोगे, तो उसी क्षण निराशा मर गयी। निराशा के प्राण आशा में हैं। ___तुमने कहानियां पढ़ीं न-बच्चों की कहानियां-कि राजा अपने प्राण तोते में रख देता है। फिरं राजा को तुम कितना ही मारो, नहीं मरता; जब तक तोते को न मारो। अब तोते को कौन सोचे कि तोते में राजा के प्राण हैं। पता नहीं कहां रखे हैं? तोते में रखे कि मैना में रखे? किसमें रखे, कहां रखे? कुछ पता नहीं! लेकिन जब तक तुम तोते को न मारो, तब तक राजा न मरेगा। ___ ऐसे ही निराशा जीती है, आशा के सहारे। निराशा ने अपने प्राण आशा में रखे हैं। जब आशा की गरदन घुट जाएगी, तुम अचानक पाओगेः इधर आशा मरी, उधर निराशा की लाश पड़ी है।
तुम स्वागत करो। तुम्हारे स्वागत से आशा मर जाएगी। पूरे हृदय से स्वागत करो। निराशा आ रही है, आने दो। धन्यभागी हो तुम! पूरी तरह आ जाने दो। डूब जाओ निराशा में। उसी डूबने में तुम पाओगेः उबर गए। अचानक तुम बाहर आओगे और तुम पाओगेः आशा भी गयी, निराशा भी गयी। तुम मुक्त हुए। तुम पूछते हो : 'मुझे आशा दें, मुझे सहारा दें।' सहारों ने ही तो तुम्हें मारा है। सहारों की वजह से ही तो तुम लंगड़े हो गए।
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