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________________ एस धम्मो सनंतनो सब्बदानं धम्मदानं जिनाति सब्बं रसं धम्मरसो जिनाति । सब्बं रति धम्मरती जिनाति तण्हक्खयो सब्बदुक्खं जिनाति ।।२९२ ।। प्र थ म दृश्यः भगवान जेतवन में विहरते थे । एक तरुण भिक्षु पर एक स्त्री मोहित होकर उसे गृहस्थ बनाने के लिए नाना प्रकार के प्रलोभन दिए। वह भिक्षु अंततः उसकी बातों में आकर चीवर छोड़कर गृहस्थ हो जाने के लिए तैयार हो गया। भगवान यह सब चुपचाप देखते रहे थे। जब युवक गिरने को ही हो गया, तब उन्होंने उसे पास बुलाया और कहाः स्मृति को सम्हाल! होश को जगा ! पागल, ऐसे ही तो पूर्व में भी तू गिरा है और बार-बार पछताया है। अब फिर वही ! भूलों से कुछ सीख ! स्मृति को सम्हाल ! और तब उन्होंने ये दो गाथाएं कहीं : वितक्कपमथितस्स जंतुनो तिब्बरागस्स सुभानुपस्सिनो । भय्यो तण्हा पबड्ढति एसो खो दल्हं करोति बंधनं ।। वितक्कूपसमे च यो रतो असुभं भावयति सदा सतो। एस खो व्यन्तिकाहिनी एसच्छेच्छति मारबंधनं । । 'जो मनुष्य संदेह से मथित है, और तीव्र राग से युक्त है, शुभ ही शुभ देखनें वाला है, उसकी तृष्णा और भी बढ़ती है । और वह अपने लिए और भी दृढ़ बंधन बनाता है । ' 'जो मनुष्य संदेह के शांत हो जाने में रत है, सदा सचेत रहकर जो अशुभ की भावना करता है, वह मार के बंधन को छिन्न करेगा और तृष्णा का विनाश करेगा।' इसके पहले कि हम गाथाओं में उतरें, इस परिस्थिति को ठीक से समझ लें। ये परिस्थितियां मनुष्य के मन की ही परिस्थितियां हैं। इन परिस्थितियों में मनुष्य के मन में उठने वाले संदेहों का ही विश्लेषण है । एक तरुण भिक्षु पर एक स्त्री मोहित हो गयी । ऐसा अक्सर हो जाता है । जितना दुर्लभ हो व्यक्ति, उतना ही आकर्षक हो जाता है। संन्यस्त व्यक्ति अक्सर आकर्षण का कारण बन जाता है। स्त्रियों के पीछे तुम भागो, तो वे तुमसे बचती हैं। तुम स्त्रियों से भागो, तो वे तुम्हारा पीछा करती हैं ! यही बात पुरुष के संबंध में भी सच है । स्त्री अगर पुरुष से भागने लगे, तो पुरुष 1 140
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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