SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 'यह धम्मपद का पुनर्जन्म है। यह धम्मपद को नयी भाषा, नया अर्थ, नयी भंगिमा, नयी देह, नए प्राण देने का प्रयास है। और जब फिर से जन्म हो जाए धम्मपद का, जैसे बुद्ध आज बोल रहे हों, तभी तुम्हारी आत्मा में संवेग होगा; तभी तुम्हारी आत्मा में रोमांच होगा। तभी तुम आंदोलित होओगे। तभी तुम कंपोगे, डोलोगे ।' ओशो के इन प्रवचनों में बुद्ध के 'धम्मपद' की पांखुड़ियां विकसी हैं और बुद्ध - वाणी की सुगंध ढाई हजार साल पहले की भाषा से मुक्त होकर ओशो की नयी मनोहारी भाषा और शैली में नये युग-बोध के साथ हम तक आई है। ‘ये कथाएं मनोवैज्ञानिक संकेत हैं। बोध-कथाएं हैं। ऐसा कभी हुआ, इस चिंता में पड़ने का कोई सार भी नहीं है । ये तो प्रतीक हैं। इनके पीछे सार है। उसे पकड़ लेना ।' बुद्ध की शिक्षा का सार इन्हीं बोध कथाओं में है । ये प्रज्ञा-प्रसूत हैं । प्रज्ञा यानी जागरूकता। प्रतिपल होशपूर्वक जीने की प्रेरणा इनका अभिप्रेत है । बुद्ध की परंपरा में संघर्ष पर जोर नहीं है; तप पर जोर नहीं है; संकल्प पर जोर नहीं है । बुद्ध की साधना में बोध पर जोर है। वे होश में जो हो, उसे पुण्य और बेहोशी में जो किया जाए, उसे पाप कहते हैं । वे जीवन की क्षणभंगुरता; क्षण-क्षण की परिवर्तनशीलता को रेखांकित करते हुए कहते हैं कि जिसने इसे समझ लिया, वही धर्म में प्रवेश कर जाता है। यही धर्म की सनातनता है। एस धम्मो सनंतनो ! राजेन्द्र अनुरागी मध्यप्रदेश की राज्य साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत और भोपाल के 'नगरश्री' सम्मान से अलंकृत कवि श्री राजेन्द्र अनुरागी विगत तीन-चार दशकों से सतत साधनारत हैं। अध्यापन, लेखन, पत्रकारिता, फिल्म इत्यादि सृजन के विविध क्षेत्रों में इनकी गहरी पैठ रही है।
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy