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________________ जीवन का परम सत्य : यहीं, अभी, इसी में दूर कर उसी के साथ स्मृतिवान और प्रसन्न होकर धीरपुरुष चले।' 1 यदि कोई मिल जाए ऐसा जो जागा हो, यदि कोई मिल जाए ऐसा जो बुद्धिमान हो और अनुभवी हो - बुद्धिमान अकेला काम नहीं आता। कभी-कभी ऐसा होता है, लोग बुद्धिमान होते हैं लेकिन अनुभवी नहीं होते । तो बुद्धि तो बड़ी प्रखर होती है, तो तर्क तो खूब बिठा लेते हैं, लेकिन अनुभव कोई नहीं होता, उनकी बातों में मत पड़ जाना। उनकी बातें बड़ी झंझट में डाल देंगी। उन्हें जीवन का कोई अनुभव तो है नहीं। उन्हें सिर्फ गणित का अनुभव है। उन्हें तर्क का अनुभव है। मैंने सुना है, जिस आदमी ने औसत का सिद्धांत खोजा – यूनानी गणितज्ञ था, बड़ा बुद्धिमान था; अनुभवी न रहा होगा— अपने बच्चों को लेकर पिकनिक पर गया था। उसने एवरेज, औसत का सिद्धांत खोजा था । और जब कोई सिद्धांत खोजता है नया-नया, तो उसी उसी में लगा रहता है, उसी उसी में डूबा रहता है । नदी पार करते थे, उसके पांच-छह बच्चे थे, पत्नी थी । उसने जल्दी से सब बच्चों की ऊंचाई नापी । पत्नी ने कहा, यह क्या कर रहे हो ? उसने कहा कि औसत निकाल रहा हूं। गया जल्दी से पांच-छह जगह पानी भी नापा, कितना गहरा है ! औसत गहराई नाप ली, औसत ऊंचाई नाप ली, बोला पत्नी से, कोई फिकर नहीं, आने दो बच्चों को । 1 अब कोई बच्चा लंबा था, कोई छोटा था, कहीं पानी गहरा था, कहीं उथला था। चल पड़ा वह, बीच में बच्चे, पत्नी पीछे । पत्नी चिल्लायी, क्योंकि एक बच्चा डुबकी खाने लगा। फिर दूसरा बच्चा डुबकी... पत्नी चिल्लायी कि तुम चले क्यों जा रहे हो? ये बच्चे डुबकी खा रहे हैं ! उसने कहा, यह हो ही नहीं सकता, वह लौटकर भी नहीं देखता । वह कहता है, यह हो ही नहीं सकता, मेरे सिद्धांत में भूल तो हो ही नहीं सकती। इधर पत्नी बच्चों को बचाने में लगी है, वह दौड़कर गया वापस रेत पर, उसने जहां गणित किया था अपना, फिर से देखने कि कोई भूल तो नहीं हो गयी । भूल कुछ भी न थी, लेकिन औसत ! बुद्धिमानी की तो बात है, अनुभव की बात नहीं है । औसत आदमी कहीं होता है! अब कोई दो फीट का बच्चा था, कोई चार फीट का बच्चा था, दोनों औसत तो तीन फीट के हो गए-तीन फीट का कोई भी नहीं है उसमें ! इसी तरह औसत आमदनी होती है। किसी की आमदनी का नाम औसत आमदनी नहीं है। उसमें बिरला की आमदनी जुड़ी है, उसमें भिखारी की आमदनी जुड़ी है। दोनों को जोड़कर औसत निकाल ली, तो भिखारी भी अमीर हो जाता है, बिरला भी भिखारी हो जाते हैं। औसत झूठ है। गणित तो ठीक है, तर्क तो ठीक है । औसत उम्र निकाल ली जाती है कि भारत की औसत उम्र कितनी है। उन्होंने कहा, पैंतीस साल। अब इसमें र-अस्सी साल, नब्बे साल जीने वाला आदमी भी जुड़ा है, इसमें पहले दिन जो सत्तर 337
SR No.002387
Book TitleDhammapada 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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