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एस धम्मो सनंतनो
लगा लिए हैं, उनसे सिर्फ बोझ बढ़ जाता है। और फिर घटनाएं सड़ जाएंगी और दुर्गंध देंगी। और अतीत सड़ा हुआ तुम्हारे पीछे लगा रहता है, मरा हुआ अतीत तुम्हारे सिर पर सवार रहता है, वह तुम्हें ठीक से जीने भी नहीं देता। तुम जीओगे कैसे, तुम्हारा मरा हुआ अतीत, जो भूत हो गया अब, वह तुम्हारी छाती पर चढ़ा हुआ है, वह तुम्हें जीने नहीं देता। ___ तो बजाय इसके कि तुमने अतीत से इत्र निचोड़ा होता, अतीत की प्रेतात्माएं तुम्हारे जीवन में अड़चन डालती हैं, उठने-बैठने में सब तरफ से परतंत्रता बन जाती है। उन्हीं अड़चनों का नाम संसार है। तुम्हारा अतीत ही तुम्हारा संसार है। और वही अतीत तुम्हारे भविष्य को उकसाता है। मुर्दा अतीत फिर से दोहरना चाहता है, फिर से पैदा होना चाहता है, तो जिन वासनाओं के कारण तुम अतीत में कुछ घटनाओं में गुजरे, उन्हीं में तुम भविष्य में भी गुजरोगे। तुम्हारा आने वाला कल करीब-करीब . तुम्हारे बीते कल की ही पुनरुक्ति होगी।
फिर जीने में कुछ अर्थ नहीं है। कल तो बीत चुका, उससे कुछ पाना होता तो पा लिया होता, उसी को कल फिर दोहराओगे—न उससे मिला कुछ, न आगे कुछ मिलेगा। ऐसे खाली के खाली आते और खाली के खाली चले जाते; भिक्षापात्र तुम्हारा कभी भरता नहीं, तुम्हारा भिखमंगापन कभी मिटता नहीं।
जीवन के वे ही अनुभव जो तुम बुद्ध की इन कहानियों में देख रहे हो, तुम्हारे पास से गुजरते हैं, कभी-कभी तुम्हें भी लगा होगा कि ये कहानियां कोई बहुत ऐसी तो नहीं हैं कि दूर आकाश की हों, यहीं पृथ्वी की हैं। लेकिन बुद्ध की कला क्या है? वे तत्क्षण एक छोटी सी घटना को पकड़ते हैं, उसमें से इत्र निचोड़ लेते हैं। और इत्र जब तुम देखते हो, तब तुम चकित हो जाते हो।
आज का सूत्र-संदर्भ
कौशल-नरेश के पास बद्धरेक नाम का एक महाबलवान हाथी था। उसके बल और पराक्रम की कहानियां दूर-दूर तक फैली थीं। लोग कहते थे कि युद्ध में उस जैसा कुशल हाथी कभी देखा ही नहीं गया था। बड़े-बड़े सम्राट उस हाथी को खरीदना चाहते थे, पाना चाहते थे। बड़ों की नजरें लगी थीं उस हाथी पर। वह अपूर्व योद्धा था हाथी। युद्ध से कभी किसी ने उसको भागते नहीं देखा। कितना ही भयानक संघर्ष हो, कितने ही तीर उस पर बरस रहे हों, और भाले फेंके जा रहे हों, वह अडिग चट्टान की तरह खड़ा रहता था। उसकी चिंघाड़ भी ऐसी थी कि दुश्मनों के दिल बैठ जाते थे। उसने अपने मालिक कौशल के राजा की बड़ी सेवा की थी। अनेक युद्धों में जिताया था।
लेकिन, फिर वह वृद्ध हुआ और एक दिन तालाब की कीचड़ में फंस गया। बुढ़ापे ने उसे इतना दुर्बल कर दिया था कि वह कीचड़ से अपने को निकाल न पाए।
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