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________________ एस धम्मो सनंतनो कोई उपाय निंदा नहीं है। और पार होने का कोई उपाय आदमी को भयभीत करना नहीं है। पाप और नर्क की घबड़ाहट पैदा करने से कोई मुक्त नहीं होता । शायद यह आदमी और शराब पीने लगे, अब नर्क के डर से पीने लगे कि और मरे ! कि अब नर्क भी जाना पड़ेगा ! वैसे ही चिंताएं बहुत थीं, उनके कारण शराब पीता था, गुरु ने एक चिंता और जोड़ दी कि अब नर्क जाना पड़ेगा। ऐसे ही चिंताएं कम न थीं, चिंता और बढ़ गयी, बेचैनी और बढ़ गयी । सदगुरु स्वीकार करेगा कि तुम जैसे हो, ऐसे ही हो सकते थे अब तक। इसमें कुछ बड़े परेशान होने की बात नहीं है । इसका यह मतलब नहीं है कि वह यह कहता है कि तुम सदा ऐसे ही रहो, वह मार्ग खोजता है। लेकिन मार्ग में कोई निंदा नहीं है। मार्ग में तुम्हारे अतीत का कोई तिरस्कार नहीं है, सिर्फ तुम्हारे भविष्य का द्वार है । फर्क समझना। सदगुरु के पास तुम्हारे अतीत की कोई निंदा नहीं है। हां, तुम्हारे भविष्य का जरूर वह द्वार खोलता है। वह कहता है कि देखो, यह हो सकता है। ये स्वर्ण-शिखर तुम्हारे जीवन में उठ सकते हैं। मैं तुमसे यह कह रहा हूं कि सदगुरु के पास नर्क की धारणा ही नहीं होती, सिर्फ तुम जिस स्वर्ग से चूक रहे हो, उसकी तरफ इशारा होता है। नर्क की धारणा ही नहीं होती । नर्क की धारणा असदगुरु का लक्षण है। दुष्ट आदमी का लक्षण है, हिंसा जिसके भीतर पड़ी है अभी । वह एकदम तुम पर टूट पड़ता है। और टूट पड़ने के कारण बड़े मनोवैज्ञानिक हैं। वह खुद भी अभी डरता है कि ये काम उसके भीतर भी पड़े हैं। अगर वह इन बातों को स्वीकार करे, तो बड़ी अड़चन खड़ी हो जाएगी। समझो कि तुमने कहा कि मैं शराब पीता हूं; अगर वह कहे, कोई हर्जा नहीं, तो इसमें एक खतरा है। अभी शराब पीने की वासना उसमें भी पड़ी है। अगर वह कहे, इसमें कोई हर्जा नहीं, तुमसे यह कहे कि इसमें कोई हर्जा नहीं, तो खुद भी तो सुन रहा है कि इसमें कोई हर्जा नहीं । खतरा है ! अगर यह बात बार-बार कहनी पड़े कि इसमें कोई हर्जा नहीं, तो खुद के भीतर जो वासना पड़ी है शराब पीने की, वह फिर कहेगी, तो फिर तुम क्यों नहीं पीते, फिर हर्जा नहीं है तो क्यों बैठे हो, क्यों व्यर्थ समय गंवा रहे हो ? तुमने जाकर कहा कि मुझे किसी की स्त्री से प्रेम हो गया है, मैं क्या करूं? क्या हो ? वह टूट पड़ेगा एकदम। वह तुम पर नहीं टूट रहा है, वह अपनी ही रक्षा कर रहा है, खयाल रखना। तुम मनोवैज्ञानिकों से पूछो कि वह क्या कर रहा है? वह सेल्फ डिफेंस में है। वह आत्मरक्षा कर रहा है । वह तुम पर टूट पड़ा एकदम कि यह बिलकुल पाप है, महापाप है, नर्क में जाओगे ! यह वह तुमसे इसलिए कह रहा है कि पास-पड़ोस की स्त्रियों में उसे भी रस है । और यही समझा-बुझाकर वह अपने को रोक रहा है, कि नर्क जाना पड़ेगा, महापाप हो जाएगा, भूलकर यह मत करना । भूलकर ऐसी बात में मत पड़ना। जब वह तुम पर टूटता है तो वह खबर दे रहा है 82
SR No.002386
Book TitleDhammapada 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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