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सौंदर्य तो है अंतर्मार्ग में
तुम संन्यस्त हुए हो, कि इनको अब मूल्य नहीं देना है। अब किसी और बड़े मूल्य को खोजना है, परम मूल्य को खोजना है। इनकी तरफ पीठ करो, अब अपने घर की तरफ चलो।
अंतर्मार्ग की सोचो, भिक्षुओ!
सोचना ही हो, विचार ही करना हो, तो उस भीतर के पथ का विचार करो, एक-दूसरे को सहयोग दो। जो जहां तक बढ़ गया है, वहां तक की बात बताए कि दूसरे भी वहां तक बढ़ सकें। जो जहां अटक गया है, अपने अटकन की बात बताए कि शायद कोई सहारा दे सके। चर्चा करो, ताकि तुम सहयोगी हो जाओ। अकेले जाने में कठिनाई है, इसीलिए तो भिक्षुओं का संघ बुद्ध ने बनाया था, कि जहां अकेले न जा सको, वहां सब संग-साथ चलो।
कभी-कभी ऐसा हो जाता है, अकेले जाना कठिन होता है, दूसरों के सहारे की जरूरत पड़ती है। कोई भूल तुम से हो रही है, दूसरे से नहीं हो रही, वह तुम्हें सम्हाल दे सकता है। कहीं तुम फिसलने लगो तो कोई तुम्हारा हाथ पकड़ ले सकता है। कहीं तुम गिर पड़ो तो कोई दो मित्र तुम्हें उठा ले सकते हैं। यह भिक्षुओं का संघ इसलिए है कि तुम एक-दूसरे के संगी-साथी बनो भीतर की यात्रा में।
यहां तो कुछ उलटा हो रहा है। तुम तो बाहर की यात्रा की बातें कर रहे हो, और इतने रस से कर रहे हो! और संकोच भी नहीं, और लज्जा भी नहीं; और शर्म भी नहीं लगती तुम्हें? तुम तो ऐसे मौज से कर रहे हो जैसे तुम कुछ गलत कर ही नहीं रहे।
अंतर्मार्ग की सोचो, भिक्षुओ! समय थोड़ा और करने को बहुत कुछ शेष है।
समय ज्यादा नहीं है। कब दीया बुझ जाएगा, नहीं कहा जा सकता। कब हवा का झोंका आएगा और तुम विदा हो जाओगे, नहीं कहा जा सकता। लहर की भांति है यह जीवन। अभी है, अभी नहीं है। इसलिए एक क्षण भी खोने जैसा नहीं है। एक क्षण भी गंवाने जैसा नहीं है। सारे समय को, जितना समय मिला है, अंतर्यात्रा पर समर्पित कर दो। . इन्हीं बाह्यमार्गों पर जन्म-जन्म भटकते रहे, अभी भी थके नहीं?
इतना तो चल चुके हो इन रास्तों पर, इतना तो सौंदर्य देखा, इतने तो स्त्री-पुरुष देखे, इतने तो धन-पद देखे, अभी तक थके नहीं? अभी भी इन्हीं का सपना चल रहा है? और छोड़ चुके तुम इन्हें। छोड़कर आए हो, फिर भी इन्हीं की सोच रहे हो? ____ मैंने सुना है, एक सूफी फकीर के पास एक युवक आया। संन्यस्त होने आया। फकीर की कुटी में प्रवेश करके उसने चरणों में सिर झुकाया और कहा कि प्रभु, मुझे स्वीकार करें, मैं सब छोड़कर आ गया हूं। और उस फकीर ने कहा, झूठ मत बोल! वह युवक तो बहुत चौंका। और उस फकीर ने कहा, पीछे देख, पूरी भीड़ अपने साथ ले आया है। उस युवक ने तो डरकर पीछे भी देखा, वहां तो कोई भी न था। फकीर ने कहा, वहां नहीं, भीतर। और तब उस युवक ने आंख बंद की, और देखा कि
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