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________________ ध्यान की खेती संतोष की भूमि में है, तुम अपने जीवन के मालिक हो, तुमने जैसा उसे जीना चाहा है, तुम जीओ। निंदा नहीं होगी। जीसस के पास एक स्त्री को लाया गया। गांव स्त्री के खिलाफ है, क्योंकि स्त्री ने व्यभिचार किया है। और पुरानी बाइबिल कहती है कि जो स्त्री व्यभिचार करे, उसे पत्थरों से मार डालना चाहिए। जीसस नदी के किनारे रेत पर बैठे हैं। सारा गांव इकट्ठा हो गया है और उन्होंने कहा, इससे, जीसस से पूछ लो, यह बहुत ज्ञान की बातें करता है। और इससे एक बात यह भी पता चल जाएगी कि पुराने धर्म के पक्ष में है या विरोध में। तो उन्होंने पूछा कि तुम क्या कहते हो? पुराने पैगंबरों ने कहा है कि जो स्त्री अनाचार करे, व्यभिचार में पड़े, उसे पत्थर मारकर मार डालना चाहिए; तुम क्या कहते हो? क्योंकि जीसस तो हमेशा ऐसा ही कहते थे, पुराने पैगंबरों ने ऐसा कहा है, लेकिन मैं ऐसा कहता हूं। तो अब तुम क्या कहते हो? __जीसस ने कहा कि पुराने पैगंबरों ने कहा है कि जो तुम्हें ईंट मारे, उसे तुम पत्थर मारना, और जो तुम्हारी एक आंख फोड़े, तुम उसकी दूसरी भी फोड़ देना। लेकिन मैं तुमसे कहता हूं कि जो तुम्हारे एक गाल पर चांटा मारे, तुम दूसरा गाल भी उसके सामने कर देना; और जो तुम्हारा कोट छीन ले, कमीज भी उसे दे देना; और जो तुमसे कहे, एक मील तक इस बोझ को ढोओ, तुम दो मील तक उसके साथ चले जाना; मैं तुमसे ऐसा कहता हूं। ___ तो उन्होंने कहा, अब तुम क्या कहते हो? पुराने पैगंबर कहते हैं, पत्थर मारकर इसे मार डालना। उन्होंने एक उपाय खोजा था जीसस को फांसने का। या तो जीसस कहेंगे, पुराने पैगंबर गलत कहते हैं, तो भी वे जीसस पर नाराज होते-तो एक तुम्ही पैगंबर हो! अब तक सब नासमझ ही हुए! या जीसस कहेंगे, पुराने पैगंबर ठीक कहते हैं, तो हम कहेंगे, फिर क्या हुआ तुम्हारे उस प्रेम के सिद्धांत का कि कोई एक गाल पर चांटा मारे तो दूसरा सामने कर देना। पत्थर मारकर मार डालने को कहते हो? हत्या के लिए कहते हो? दोनों हालत में जीसस फंस जाएंगे। गांव बड़ा उत्सुक था। गांव का जो रबाई था, जो धर्मगुरु था, वह भी आगे खड़ा था आकर कि पूछो इस युवक से, यह क्या कहता है? और जीसस ने एक क्षण सोचा और कहा, आप पत्थर उठा लें-नदी का किनारा था, पत्थर तो पड़े ही थे, ढेर लगे थे, लोगों ने पत्थर उठा लिए-और जीसस ने कहा, अब मैं कहता हूं, जिस आदमी ने कभी व्यभिचार न किया हो, या व्यभिचार का विचार न किया हो, वह पहला पत्थर मारे। वे जो आगे खड़े बड़े-बुजुर्ग थे, धीरे-धीरे भीड़ में पीछे हट गए। धर्मगुरु भी भीड़ में भीतर सरक गया। धीरे-धीरे भीड़ छंट गयी, जीसस और वह स्त्री अकेले वहां छूट गए। वह स्त्री तो उनके पैरों में गिर पड़ी। उसने कहा, तुमने मुझे जीवनदान दिया, तुमने मुझे बचा लिया, अन्यथा आज वे मुझे मार डालते। लेकिन पाप तो मैंने किया 331
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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