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| उठने में ही मनुष्यता की शुरुआत है........ 712 आत्मबोध ही एकमात्र स्वास्थ्य.............. 73 आदमी अकेला है.
............. जगत का अपरतम संबंधः गुरु-शिष्य के बीच....... 715 तुम तुम हो..
धर्म अनुभव है.
जितनी कामना, उतनी मृत्यु.. 18 तृष्णा का स्वभाव अतृप्ति है.
..226 719 सत्य सहज आविर्भाव है.... 810 शब्दों की सीमा, आंसू असीम........ 81 ध्यान की खेती संतोष की भूमि में ......
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