________________
जो बद्ध के पास था, ठीक उतना ही लेकर तुम भी पैदा हुए हो। तुम्हारी
वीणा में और बुद्ध की वीणा में रत्तीभर का फासला नहीं है। भला तुम्हारे तार ढीले हों, थोड़े कसने पड़ें। या तुम्हारे तार थोड़े ज्यादा कसे हों, थोड़े ढीले करने पड़ें। या तुम्हारे तार वीणा से अलग पड़े हों और उन्हें वीणा पर बिठाना पड़े। लेकिन तुम्हारे पास ठीक उतना ही सामान है, उतना ही साज है, जितना बुद्ध के पास। अगर बुद्ध के जीवन में संगीत पैदा हो सका, तुम्हारे जीवन में भी हो सकेगा। इसी बात का नाम आस्था है।
ओशो एस धम्मो सनंतनो
भाग 5