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________________ एस धम्मो सनंतनो ज्यादा-ज्यादा घटेगा, कम-कम भटकोगे। फिर एक दिन ऐसा आएगा कि तुम बिलकुल थिर हो जाओगे । हवाओं के झोंके आएंगे, गुजर जाएंगे, तुम्हारी लौ न कंपेगी। दुख आएंगे, सुख आएंगे, तुम निष्कंप चलते रहोगे । सब छूट जाएगा, क्योंकि तुमने अपने को पा लिया होगा । वस्तुतः जिसने स्वयं को पा लिया, सब पा लिया। छूटता है, क्योंकि जिसने सब पा लिया, अब वह व्यर्थ को पाने के लिए नहीं दौड़ता । सत्पुरुष ऐसी संपदा का धनी हो जाता है, जो शाश्वत है। ऐसे पद पर विराजमान हो जाता है, जिसके पार कोई पद नहीं । निश्चित ही, सब छंद - राग छूट जाते हैं, क्योंकि महाछंद बज उठता है। छंदों का छंद भीतर अहर्निश बजने लगता है । सब गीत-गान बंद हो जाते हैं, क्योंकि गायत्री मुखरित हो उठती है। आज इतना ही । 28
SR No.002381
Book TitleDhammapada 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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