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एस धम्मो सनंतनो
ज्यादा-ज्यादा घटेगा, कम-कम भटकोगे। फिर एक दिन ऐसा आएगा कि तुम बिलकुल थिर हो जाओगे । हवाओं के झोंके आएंगे, गुजर जाएंगे, तुम्हारी लौ न कंपेगी। दुख आएंगे, सुख आएंगे, तुम निष्कंप चलते रहोगे । सब छूट जाएगा, क्योंकि तुमने अपने को पा लिया होगा ।
वस्तुतः जिसने स्वयं को पा लिया, सब पा लिया। छूटता है, क्योंकि जिसने सब पा लिया, अब वह व्यर्थ को पाने के लिए नहीं दौड़ता ।
सत्पुरुष ऐसी संपदा का धनी हो जाता है, जो शाश्वत है। ऐसे पद पर विराजमान हो जाता है, जिसके पार कोई पद नहीं ।
निश्चित ही, सब छंद - राग छूट जाते हैं, क्योंकि महाछंद बज उठता है। छंदों का छंद भीतर अहर्निश बजने लगता है । सब गीत-गान बंद हो जाते हैं, क्योंकि गायत्री मुखरित हो उठती है।
आज इतना ही ।
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