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लुत्फ-ए-मय तुझसे क्या कहूं! सिद्ध का अर्थ क्या होता है ? सिद्ध का अर्थ इतना ही होता है कि जो बीज की तरह था तुम्हारे भीतर, वह वृक्ष की तरह हो गया; फूल लग गए। सिद्ध का इतना ही अर्थ है, जो तुम होने को हुए थे, हो गए। जो तुम्हारी नियति थी, परिपूर्ण हुई।
गंगा जहां सागर में गिरती है, वहां सिद्ध हो जाती है। बीज जहां फूल बन जाता है, वहां सिद्ध हो जाता है।
सिद्ध का अर्थ है कि अब और कुछ करने को न रहा, अब कुछ पाने को न रहा, अब कहीं जाने को न रहा। अब कोई मंजिल न रही। अब तुम्हीं मंजिल हो। अब कोई मंदिर-मस्जिद न रहा, कोई तीर्थ न रहा। कोई यात्रा न रही। अब तुम्हीं मंदिर हो, तुम्हीं मस्जिद हो। प्रारंभ अंत पर आ गया। जो यात्री चला था, वह पहुंच गया।
तब भुलाने की कोई जरूरत नहीं रह जाती। क्योंकि होना इतना आनंदपूर्ण है...क्या तुमने कभी खयाल किया, तुम जब भी सुखी होते हो, तब तुम अपने को भुलाना नहीं चाहते। जब दुखी होते हो, तभी भुलाना चाहते हो। सुखी आदमी शराब न पीएगा। क्यों पीएगा? कोई सुख को भुलाना चाहता है? कोई सुख को डुबाना चाहता है? कोई सुख को गंवाना चाहता है ? सुखी आदमी शराब न पीएगा। दुखी आदमी पीता है। दुख को भुलाना पड़ता है, इसलिए। दुख को भुलाना ही पड़ेगा, अन्यथा झेलना मुश्किल हो जाता है। भुला-भुलाकर झेल लेते हैं। भुला-भुलाकर चल लेते हैं, किसी तरह खींच लेते हैं बोझ को।।
जब तुम्हारा आपरेशन किया जाता है, तो बेहोशी की दवा देनी पड़ती है। इतनी पीड़ा होगी कि बिना बेहोशी के तुम न उसे झेल पाओगे। लेकिन जब तुम किसी उत्सव में होते हो, आनंद में होते हो, तब तो कोई जरूरत नहीं है। ___एक मित्र मेरे पास आते थे। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं आपके पास आते डरता हूं। मन तो बहुत होता है आने का। ध्यान भी करना चाहता हूं। लेकिन एक अड़चन मन में बनी रहती है। और वह यह कि आज नहीं कल आपको पता चल जाएगा कि मैं शराब पीता हूं। और तब आप जरूर कहोगे कि शराब पीना छोड़ो। यह मुझसे न हो सकेगा। यह मैं कर चुका बहुत बार। हार चुका बहुत बार। अब तो मैंने आशा ही छोड़ दी। अब तो यह जीवनभर की संगी-साथिनी है। यह मुझसे न हो सकेगा। और आज नहीं कल आपको पता चल जाएगा। और फिर आप कहोगे कि ध्यान करना है तो पहले इसे छोड़ दो। ___ मैंने कहा कि तब तुम मुझे समझे ही नहीं। मैं तो तुमसे इतना ही कहता हूं कि तुमने चूंकि ध्यान नहीं किया, इसीलिए पी रहे हो। ध्यान महा-शक्तिशाली है। अगर ध्यान करने के लिए शराब छोड़नी पड़े तो शराब ज्यादा शक्तिशाली है। नहीं, मैं तो तुमसे कहता हूं, तुम ध्यान करो। जिस दिन ध्यान होगा, उस दिन सोच लेंगे। __उन्होंने कहा, तो यह कोई शर्त नहीं है? यह कोई प्राथमिक जरूरत नहीं है? आप क्या कहते हैं? सभी शास्त्र यही कहते हैं, पहले आचरण ठीक हो, फिर ध्यान।
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