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अंतर्बाती को उकसाना ही ध्यान
है, सिर्फ मनुष्यता है। ___ कहते हैं, सम्राट उतरा सिंहासन से, उस भिखारी के पैर छुए और उसने कहा कि मुझे एक बात समझ में आ गई—न तेरा पात्र भरता है, न मेरा भरा है। तेरे पात्र में भी ये सब स्वर्ण अशर्फियां खो गयीं, और मेरे पात्र में भी खो गई थीं, लेकिन तूने मुझे जगा दिया। बस अब इसको भरने की कोई जरूरत न रही। अब इस पात्र को ही फेंक देना है। जो भरता ही नहीं उस पात्र को क्या ढोना!
लेकिन आदमी मांगे चला जाता है, जो उसका नहीं है। और चाहे कितनी ही बेइज्जती से मिले, बेशर्मी से मिले, मांगे चला जाता है। भिखारी बड़े बेशर्म होते हैं। तुम उनसे कहते चले जाते हो, हटो, आगे जाओ, वे जिद्द बांधकर खड़े रहते हैं। बड़े हठधर्मी होते हैं। हठयोगी। भिखमंगा मन ही बड़ा जिद्दी है। बड़ी बेशर्मी से मांगे चला जाता है।
पिला दे ओक से साकी जो मुझसे नफरत है
प्याला गर नहीं देता न दे शराब तो दे ओक से ही पी लेंगे।
प्याला गर नहीं देता न दे शराब तो दे मांगे चले जाते हैं। कोई लज्जा भी नहीं है। पात्र कभी भरता नहीं। कितने जन्मों से तुमने मांगा है! कब जागोगे? कितनी बेइज्जती से मांगा है! कितने धक्के-मुक्के खाए हैं! कितनी बार निकाले गए हो महफिल से! फिर भी खड़े हो।
पिला दे ओक से साकी जो मुझसे नफरत है
'प्याला गर नहीं देता न दे शराब तो दे ___ संसार में आदमी कितनी बेइज्जती झेल लेता है। कितनी बेशर्मी से मांगे चला जाता है। और एक बात नहीं देखता कि इतना मांग लिया, कुछ भरता नहीं; पात्र खाली का खाली है। कितना मांग लिया, कुछ भरता नहीं, दुष्पूर है। जिस दिन यह दिखाई पड़ जाता है उसी दिन तुम पात्र छोड़ देते हो। उसी क्षण अभय उत्पन्न हो जाता है। ___ अभय उन्हीं को उत्पन्न होता है जिन्होंने यह सत्य देख लिया कि जो तुम्हारा है वह तुम्हारा है, मांगने की जरूरत नहीं। तुम उसके मालिक हो ही। और जो तुम्हारा नहीं है, कितना ही मांगो, कितना ही इकट्ठा करो, तुम मालिक उसके हो न पाओगे। जिसके तुम मालिक हो, परमात्मा ने तुम्हें उसका मालिक बनाया ही है। और जिसके तुम मालिक नहीं हो, उसका तुम्हें मालिक बनाया नहीं। इस व्यवस्था में तुम कोई हेर-फेर न कर पाओगे। यह व्यवस्था शाश्वत है। एस धम्मो सनंतनो।
और जिसके जीवन में अभय आ गया, बुद्ध कहते हैं, उसके जीवन में सब आ गया। वह परमात्मा स्वयं हो गया। जहां अभय आ गया, वहां उठती है प्रार्थना, वहां उठता है परमात्मा। लेकिन उसकी बुद्ध बात नहीं करते, वह बात करने की नहीं है।