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एस धम्मो सनंतनो
है कि मनुष्य अगर अपने सत्य को जान ले, तो परमात्मा को जान ले।
साबार ऊपर मानुस सत्य ताहार ऊपर नाहीं।
तुम सबसे ऊपर हो। क्योंकि तुम अपने अंतरतम में छिपे परमात्मा हो। बीज हो अभी, कभी फूल बन जाओगे। लेकिन बीज में फूल छिपा ही है। न खाद का कोई मूल्य है, न जमीन का, न सूरज की किरणों का। इतना ही मूल्य है कि तुम्हारे भीतर जो छिपा है वह प्रगट हो जाए। __इसलिए व्यर्थ के साधनों की बहुत जिद्द मत करना। जैसे भी पहुंचो, पहुंच जाना। परमात्मा तुमसे यह न पूछेगा, किस मार्ग से आए? कैसे आए? आ गये, स्वागत है!
आज इतना ही।
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