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जागरण का तेल + प्रेम की बाती = परमात्मा का प्रकाश
ऐसे भी हमने देखे हैं दुनिया में इंकलाब
पहले जहां कफस था वहीं आशियां बना बुद्ध, महावीर, कृष्ण ऐसे ही इंकलाब हैं। जहां तुमने सिर्फ कारागृह पाया और जंजीरें पायीं, वहीं उन्होंने अपना घर भी बना लिया। जहां तुमने सिर्फ कीचड़ पाई, वहीं उनके कमल खिले। और जहां तुम्हें अंधकार के सिवाय कभी कुछ न मिला, वहां उन्होंने हजार-हजार सूरज जला लिए। मैं तुमसे फिर कहता हूं
सिवा इसके और दुनिया में क्या हो रहा है कोई हंस रहा है कोई रो रहा है अरे चौंक यह ख्वाबे-गफलत कहां तक
सहर हो गई है और तू सो रहा है सहर सदा से ही है, सुबह सदा से ही है, तुम्हारे सोने की वजह से रात मालूम हो रही है। और जागना बिलकुल तुम्हारे हाथ में है। कोई दूसरा तुम्हें जगा न सकेगा। तुमने ही सोने की जिद्द ठान रखी हो, तो कोई तुम्हें जगा न सकेगा। तुम जागना चाहो, तो जरा सा इशारा काफी है। __बुद्धपुरुष इशारा कर सकते हैं, चलना तुम्हें है। जागना तुम्हें है। अगर अपनी दुर्गंध से अभी तक नहीं घबड़ा गए, तो बात और। अगर अपनी दुर्गंध से घबड़ा गए हो, तो खिलने दो फूल को अब। ____ 'चंदन या तगर, कमल या जूही, इन सभी की सुगंधों से शील की सुगंध सर्वोत्तम है।'
आज इतना ही।
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