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________________ एस धम्मो सनंतनो वह लेबिल लगा देता है। बस लेबिल लगाने की सुविधा मिली बुद्धि को कि बात गयी, खतम हुई, समाप्त हुई, उसके प्राण निकल गए, वह नपुंसक हो गयी। जितनी देर तक हम बचा सकें लेबिल लगने से अपने को उतनी देर तक ही हम जीवित होते हैं, उतनी देर तक ही विचार में आग होती है, फिर राख हो जाती है। आखिरी प्रश्नः आपका बोलना खुद किसी शेर-ओ-शायरी से कम नहीं, फिर उसमें ये और शेर-ओ-शायरी! यह मीठा मोड़ क्यों कर अन्या ? कोई रहस्य नहीं है। बड़ी गैर-रहस्य की बात है। लेकिन पूछ लिया है इसलिए कह देना चाहिए। मुल्ला नसरुद्दीन बाहर जा रहा था। मैंने उससे कहा, बड़े मियां! तुम बाहर चले, मेरा क्या होगा? तुम रहते हो, तुम रोज-रोज समझदारियां करते हो, नासमझों को समझाने में मैं उनका उपयोग कर लेता हूं। तुम छुट्टी पर जा रहे हो! महावीर न हों, मूसा न हों, मोहम्मद न हों, मनु न हों-मेरा काम चल जाएगा। मुल्ला के बिना मेरा काम नहीं चलता। ___ मुल्ला ने कहा, घबड़ाएं मत। ये मैंने बहुत सी कविताएं लिख रखी हैं-एक पोथी; ये छोड़े जाता हूं, जब तक न आऊं इनसे काम चला लेना। तो जब तक मुल्ला नहीं आया तब तक...। आज इतना ही। 248
SR No.002378
Book TitleDhammapada 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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