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ताओ उपनिषद भाग ६
इसलिए मार्क्स, फ्रायड आत्म-क्रांति को भयानक रूप से हानि पहुंचाने वाले विचारक हैं। क्योंकि वे दूसरे पर दोष डाल देते हैं। और इसे कोई कभी नहीं सोचता कि तुम किसको दोषी ठहराओ।
समझो, एक सात मंजिल मकान है और एक आदमी खिड़की से कूद कर आत्महत्या कर लिया। कौन दोषी है? फ्रायड से पूछो, वह बचपन में खोजेगा। वह यह न कहेगा इस आदमी ने आत्महत्या की है; वह खोजेगा बचपन में। कोई बचपन का ट्रॉमा, कोई बचपन की दुखद घटना इसे आत्मघाती बना दी है। वह बचपन में जाएगा, और बचपन में वह मां-बाप की खोज करेगा। फ्रायड के जो बहुत गहरे अनुयायी हैं, उनमें एक है ओटो रैंक। वह तो बचपन में ही नहीं जाता, गर्भ की अवस्था तक जाता है कि गर्भ की अवस्था में कुछ घटा होगा-मां गिर पड़ी होगी, चोट खा गई होगी, दुखी हुई होगी, संतप्त हुई होगी-उसका घाव इस बच्चे पर रह गया।
अगर मार्क्स से पूछो तो वह कहेगा, कोई आर्थिक, सामाजिक, गरीबी होगी, दुकान का दिवाला निकलने के करीब है। मार्क्स खोजेगा धन में, फ्रायड खोजेगा अतीत स्मृतियों में। लेकिन सीधा यह आदमी जिम्मेवार है, कोई भी न कहेगा। और अगर हम इस तरह खोजने चलें तो बड़ी कठिनाई होगी।
कौन जिम्मेवार है? इसकी पत्नी जिम्मेवार है जो इसे घर में चौबीस घंटे कलह की अवस्था बनाए रखती है? या इसकी प्रेयसी जिम्मेवार है जो इसे पत्नी से अलग करने की कोशिश के लिए चौबीस घंटे लड़ती रहती है? या इसका बेटा जिम्मेवार है जो कि शराबी हो गया है और उसके कारण यह पीड़ित और परेशान है? या इसकी लड़की जिम्मेवार है? यह हिंदू है और लड़की ने एक मुसलमान से शादी कर ली है, जो इसके हृदय में छुरे के घाव की तरह चुभ गया है। या इसका धंधा जिम्मेवार है जो कि रोज गिरता जा रहा है और इसकी आर्थिक परिस्थिति उलझती जा रही है? या वह आर्किटेक्ट जिम्मेवार है जिसने खिड़की ठीक इसकी कुर्सी के पीछे बनाई? क्योंकि मनसविद कहते हैं कि अगर खिड़की बहुत दूर होती, उतने दूर चल कर जाता, उतनी देर में भी बदल सकता था भाव। खिड़की बिलकुल पीछे थी। क्षण भर का मौका न मिला, भावावेश पकड़ा मरने का और मौका मिल गया, सीधी खिड़की थी, कूद गया। या वह मैनेजर जिम्मेवार है जिसने सातवीं मंजिल पर आफिस बनाने की जिद की और पहली मंजिले पर बनाने को राजी न हुआ? या बिजली की कंपनी जिम्मेवार है कि बिजली अचानक बंद हो गई, और इस आदमी का पंखा न चला, और वह पसीने से तरबतर हुआ, और परेशान था, और उस परेशानी के क्षण में यह आत्मघात पकड़ गया? या वह मक्खी जिम्मेवार है जो उसके चारों तरफ चक्कर लगा रही थी, उसके सिर को खाए जा रही थी? जिसको वह भगाने की कोशिश कर रहा था और भागने को वह राजी न थी। मक्खी बड़ी जिद्दी होती हैं। पिछले जन्मों में सभी मक्खियां हठयोगी रही हैं। उनको जहां से भगाओ, वहीं वापस लौट कर आती हैं। मक्खी ने उसे चिड़चिड़ा कर दिया। कौन जिम्मेवार है? अगर खोजने निकलोगे तो तुम पाओगे, सारा संसार जिम्मेवार है, सिर्फ इस आदमी को छोड़ कर। यह भी खूब खोज हुई।
लेकिन पश्चिम का पूरा जोर इस बात पर है कि दायित्व दूसरे का है। क्योंकि पश्चिम में अहंकार को सबल करने की चेष्टा की गई है। पश्चिम का पूरा मनसशास्त्र, अहंकार को कैसे परिपक्व किया जाए, इसकी चेष्टा है। पश्चिम में मनसविद कहता है, अगर किसी का अहंकार परिपक्व न हो तो वह ठीक से प्रौढ़ नहीं हुआ। तो अहंकार परिपक्व होना चाहिए, आक्रामक होना चाहिए। और अहंकार के आक्रमण का यही अर्थ होता है कि सारी दुनिया जिम्मेवार है, सिर्फ मुझे छोड़ कर।
कुछ आश्चर्य नहीं है कि पश्चिम विक्षिप्त होता जो रहा है। कुछ आश्चर्य नहीं है कि पश्चिम में सब सुविधाएं उपलब्ध हो गई हैं, धन है, वैभव है, लेकिन आत्म-क्रांति संभव नहीं हो पा रही। एक पत्थर की तरह अटका है। करीब आ गए हैं मंदिर के, लेकिन द्वार बिलकुल बंद मालूम पड़ता है, दीवाल दिखाई पड़ती है।
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