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________________ ताओ उपनिषद भाग ६ लेकिन वह गधा बोलने वाला गधा था, वह कोई साधारण गधा नहीं था। अखबार पढ़-पढ़ कर वह बोलना सीख गया था। उसने जाकर पंडित नेहरू के पास खड़े होकर कहा कि सुनिए पंडित जी! - वे थोड़े घबरा गए। उन्होंने आंख उठा कर देखा। वे भूल ही गए कि मैं शीर्षासन कर रहा हूं। तो उन्होंने कहा कि ऐसा गधा मैंने कभी भी नहीं देखा; त उलटा क्यों खड़ा है? उस गधे ने कहा, महानुभाव, आप शीर्षासन कर रहे हैं; मैं उलटा नहीं खड़ा हूं। जब तुम शीर्षासन करते होते हो तो जो चीज ऊपर है वह नीचे मालूम पड़ती है, जो नीचे है वह ऊपर मालूम पड़ती है। तुमने जीवन को शीर्षासन करके देखा है, इसीलिए तुम्हें दिल्ली में जो लोग बैठे हैं वे ऊपर मालूम पड़ते हैं, और जो आदमी सड़क के किनारे गड्डा खोद रहा है वह तुम्हें नीचे मालूम पड़ता है। जिन्होंने बहुत धन इकट्ठा कर लिया है, बिरला हैं, राकफेलर हैं, वे तुम्हें ऊपर मालूम पड़ते हैं। और जो भिखारी वृक्ष के नीचे भर दोपहरी में शांति से सोया है वह तुम्हें नीचे मालूम पड़ता है। तुम शीर्षासन कर रहे हो। लाओत्से ने जिंदगी को सीधा खड़े होकर देखा है। उसने देखा है कि सम्राटों के हृदयों में शांति नहीं, न प्रेम है, न आनंद है। कभी-कभी भिखारी के जीवन में आनंद की वर्षा तो होते देखी है, लेकिन सम्राटों के जीवन में कभी नहीं । देखी। अन्यथा बुद्ध नासमझ थे कि महलों को छोड़ कर और भिखारी हो जाते? कि महावीर पागल थे? जिसे तुमने ऊपर देखा है, वह तुम्हारी कहीं न कहीं कोई भूल है। क्योंकि हमने उस ऊपर से बैठे आदमी को नीचे उतरते देखा है। बुद्ध और महावीर ईर्ष्या से भर गए हैं भिखारियों की, इसीलिए भिक्षु हो गए। उन्होंने कुछ जीवन का राज देखा। लाओत्से वही कह रहा है। उन्होंने देखा कि जीवन तो बड़ी छोटी-छोटी चीजों में आनंदित है। पद, शक्ति की दौड़ से जीवन का आनंद खो जाता है। तुम जिस दिन ना-कुछ हो रहोगे उस दिन जीवन बरस जाएगा। इसलिए भिखारी जिस शांति से सोता है, सम्राट नहीं सोता। साधारण आदमी जिसको हम कहें, जिसको कोई भी नहीं जानता, वह जिस भांति प्रेम करता है, उस भांति, जिन लोगों को बहुत लोग जानते हैं, वे लोग प्रेम नहीं कर पाते। अमरीका की बड़ी अभिनेत्री थी-बड़ी से बड़ी अभिनेत्री-मर्लिन मनरो। उसने आत्महत्या की। उसने बहुत बार विवाह किया। उस जैसी सुंदर स्त्री न थी इस सदी में। दुनिया के बड़े से बड़े लोग उससे विवाह को आतुर थे। और भरी जवानी में उसने आत्महत्या की। और आत्महत्या का कारण उसने यह लिखा कि मैं प्रेम करने में बिलकुल असमर्थ हूं, और मैं कोई प्रेम नहीं पा सकी। साम्राज्ञी थी वह सिनेमा जगत की, लेकिन प्रेम न पा सकी। क्या हो गया? क्या अड़चन आ गई? ___ असल में, प्रेम उसी हृदय में उपजता है जिस हृदय में शक्ति की आकांक्षा नहीं उपजती। जहां शक्ति की आकांक्षा उपज गई वहीं प्रेम मर जाता है, प्रेम का दम घट जाता है। और जिसने प्रेम न जाना उसने क्या जाना? वह बैठा रहे शिखर पर, जीवन को गंवा दिया उसने। जिसने धन जाना और धर्म न जाना, उसने जीवन को गंवा दिया। उसने कुछ भी न जाना। जिसने शब्द जाने, शास्त्र जाने और सत्य को न जाना, वह वंचित रह गया। जब सब तरफ सब कुछ भरा था और मिल सकता था तब भी वह खाली हाथ प्यासा लौट गया। लाओत्से कहता है, उसका निरीक्षण यह है, कि बड़े और बलवान नीचे हैं, सौम्य और कमजोर शिखर पर हैं। और जिस दिन तुम सीधे खड़े होकर देखोगे-और जब मैं कहता हूं सीधे खड़े होकर तो मेरा मतलब होता है निर्विचार होकर देखोगे, विचार ने तुम्हारी खोपड़ी उलटी कर दी है-जिस दिन तुम निर्विचार होकर देखोगे उस दिन यह जीवन का सीधा सा सत्य तुम्हें दिखाई पड़ जाएगा कि साधारण होना ही यहां असाधारण होना है। ना-कुछ होना ही यहां सब कुछ होने का उपाय है। 298
SR No.002376
Book TitleTao Upnishad Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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