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________________ ताओ उपनिषद भाग ६ इसलिए लाओत्से कहता है, बधिक की जगह लेना खतरनाक है। क्योंकि तुम बधिक हो जाओगे। और तुम बधिक हो गए और बधिक को ही मिटाना चाहते थे! उपद्रवी को मिटाना चाहते थे, लेकिन मिटाने में तुम स्वयं उपद्रवी हो गए। बुरे को कोई बुराई से नहीं मिटा सकता। घृणा घृणा से नहीं मिटाई जा सकती; घृणा घृणा से बढ़ेगी। बुराई बुराई से नहीं मिटाई जा सकती; बुराई बुराई से बढ़ेगी। बुराई को मिटाना हो तो भलाई चाहिए। घृणा को मिटाना हो तो प्रेम चाहिए। पाप को मिटाना हो तो पुण्य चाहिए। और समाज यही कोशिश करता रहा है कि बुराई को बुराई से मिटा दे। तुम उपद्रव करते हो तो पुलिस का डंडा तुम्हारे सिर पर पड़ जाता है। पुलिस कहती है कि तुम उपद्रव कर रहे थे, इसलिए डंडा मारना जरूरी है। लेकिन पुलिस का डंडा खुद ही उपद्रव है। इस जाल के बाहर कैसे निकला जाए? जाल के बाहर रास्ता नहीं दिखाई पड़ता। उलझन बड़ी गहरी है। क्योंकि डंडे के जो मालिक हैं, वे कहते हैं कि अगर डंडा न उठे तो उपद्रव बहुत बढ़ जाएगा। इसलिए डंडा उठाना जरूरी है। और डंडे से कोई उपद्रव दबता नहीं। डंडे से इतना ही होता है कि दूसरी दफे उपद्रवी भी डंडा लेकर आ जाता है। हमारी सारी व्यवस्था ऐसी है। रवींद्रनाथ ने एक संस्मरण लिखा है। उनका बड़ा घर था, बड़ा परिवार था। उनके दादा को राजा की उपाधि थी। और इतना पैसा था, सुविधा थी, कि ऐसा भी हो जाता था कि जो मेहमान एक दफा मेहमान की तरह आया फिर वह गया ही नहीं, वह वहीं रहने ही लगा। ऐसे परिवार में कोई सौ लोग थे। तो मनों दूध खरीदा जाता था। और बंगाल में तो बहुत दूध की जरूरत है, क्योंकि सारे बंगालियों के मिष्ठान्न छेना से बनते हैं, दूध बहुत चाहिए। हर भोजन के साथ संदेश तो चाहिए ही। बहुत दूध खरीदा जाता था। ___ तो एक व्यक्ति के हाथ में परिवार के, रवींद्रनाथ के एक भाई के हाथ में जिम्मा था दूध को देखने का। तो दूध में पानी मिल कर आता था। तो भाई बिलकुल गणित-कुशल था, प्रशासक बुद्धि का था। उसने एक और इंसपेक्टर नियुक्त किया जो लोग दूध लाते थे उन पर। जब से इंसपेक्टर नियुक्त किया तब से दूध में और पानी मिलने लगा; क्योंकि इंसपेक्टर का भी भाग जुड़ गया। वह भी जिद्दी आदमी था। उसने एक और बड़ा इंसपेक्टर, इंसपेक्टर के ऊपर नियुक्त कर दिया। तब तो एक दिन गजब हो गया। एक मछली भी आ गई दूध में। पानी ऐसा मिलाया गया, पोखर से सीधे ही डाल दिया; उसमें एक मछली भी चली आई। रवींद्रनाथ के पिता ने रवींद्रनाथ के भाई को बुलाया और कहा कि तुम विदा करो इंसपेक्टरों को। क्योंकि यह जाल तो बढ़ जाएगा। अगर तुमने अब और एक इंसपेक्टर नियुक्त किया तो धीरे-धीरे पानी ही आएगा, दूध आएगा ही नहीं। क्योंकि सबका भाग निर्धारित होता जा रहा है। लेकिन वह जिद्दी था, उसने कहा कि इसका मतलब यह हुआ, इसका मतलब केवल इतना ही है कि एक ठीक योग्य आदमी और चाहिए ऊपर। रवींद्रनाथ के पिता ने कहा, तुम देखो, क्या घटना घटी है! दूध पहले आ रहा था, पानी मिला था माना; लेकिन इतना पानी मिला नहीं था। ज्यादा सुरक्षा की व्यवस्था करोगे, असुरक्षा हो जाएगी। भरोसे से चलता है जीवन; इतने भय और इतनी व्यवस्था से नहीं चलता। व्यवस्था बिगाड़ देती है, अव्यवस्था ले आती है। उपद्रवी डंडे लेकर आ जाएंगे। पुलिस गैस के गोले लेकर आएगी; उपद्रवी गोले लेकर आएंगे। ऐसे ही तो दुनिया में क्रांतियां खड़ी होती हैं। जितना राज्य दबाना चाहता है उतना ही लोग बगावत करते हैं। जितनी बगावत करते हैं, राज्य और दबाना चाहता है। क्योंकि गणित साफ है कि नहीं दबाओगे तो क्या होगा! ऐसे ही तो बड़े-बड़े साम्राज्य गिरते हैं। ऐसे ही ब्रिटिश साम्राज्य भारत में गिरा। ऐसे ही यह कांग्रेस गिरेगी। ऐसे ही इनके पीछे जो आएंगे वे गिरेंगे। गिरने का सूत्र यह है कि तुम्हारे गणित में भूल है। मगर कठिनाई यह है कि वे भी क्या करें। उनसे अगर बात करो तो उनके सामने भी यही सवाल है कि इसको रोकें कैसे? 236
SR No.002376
Book TitleTao Upnishad Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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