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________________ ताओ उपनिषद भाग ६ इसे थोड़ा समझें। क्योंकि जिस यात्रा से तुम गुजरते हो वह तुम्हें बदल देती है। अक्सर ऐसा हुआ है, रोज ऐसा होता है, पूरा इतिहास भरा पड़ा है कि क्रांतिकारियों ने जिनको मिटाना चाहा, अंततः क्रांतिकारी उन्हीं जैसे हो जाते हैं। इस मुल्क में अभी हुआ। उन्नीस सौ सैंतालीस में यह मुल्क आजाद हुआ। जो लोग सत्ता में आए वे अंग्रेजों से बदतर सिद्ध हुए। अंग्रेजों ने इतनी हत्या कभी भी नहीं की थी मुल्क में जितनी इन थोड़े से वर्षों में भारतीयों ने खुद सत्ता में होकर की। इतना भ्रष्टाचार न था जितना भ्रष्टाचार आजादी के इन दिनों में बढ़ा। क्यों ऐसा होता है? क्योंकि तुम जो करने जाते हो वह तुम्हें भी बदलता है। असल में, सत्ता में पहुंचते-पहुंचते ही जिन सीढ़ियों को पार करना पड़ता है वे तुम्हारी आत्मा का हनन कर देती हैं। जब तक तुम पहुंचते हो तब तक तुम उसी जैसे हो गए होते हो। एक बहुत पुरानी चीन में कहावत है कि बुरे आदमी से कभी दुश्मनी मत बनाना। क्योंकि बुरे आदमी से तुम दुश्मनी बनाओगे, धीरे-धीरे तुम बुरे हो जाओगे। क्योंकि बुरे आदमी के साथ उसी की भाषा में बोलना पड़ेगा, बुरे आदमी के साथ उसी के ढंग से लड़ना पड़ेगा, बुरे आदमी के साथ वही व्यवहार करना पड़ेगा जो वह समझ सकता है। धीरे-धीरे तुम पाओगे कि तुम बुरे आदमी हो गए। अगर लड़ाई भी लेनी हो तो किसी अच्छे आदमी से लेना। अगर लड़ना ही हो तो संतों से लड़ना। तो तुम संतों जैसे हो जाओगे। क्योंकि जिससे हमें लड़ना हो उसी के जैसे होना पड़ता है। और कोई उपाय नहीं है। चोर से लड़ोगे, चोर हो जाओगे। बेईमान से लड़ोगे, बेईमान हो जाओगे। क्योंकि बेईमानी का पूरा शास्त्र तुम्हें भी सीखना पड़ेगा। नहीं तो जीत न सकोगे। हिटलर हार गया, लेकिन सारी दुनिया को बदल गया। क्योंकि जो लोग उससे लड़े वे सब धीरे-धीरे हिटलर जैसे हो गए। हिटलर हार कर भी जिंदा है। और हिटलर के बाद दुनिया में करीब-करीब अधिक मुल्क फैसिस्ट हो गए। भाषा, नाम उनका न हो फैसिज्म, लेकिन हिटलर बदल गया लोगों को; जिनको भी उससे लड़ना पड़ा उनको डेमोक्रेसी छोड़ देनी पड़ी। क्योंकि उससे लड़ना हो तो डेमोक्रेसी नहीं चल सकती। हिटलर से लड़ना था तो इंग्लैंड को तत्क्षण चर्चिल को ताकत देनी पड़ी, क्योंकि हिटलर जैसा दुष्ट आदमी चर्चिल के अतिरिक्त इंग्लैंड में दूसरा नहीं मिल सकता था। हिटलर से चर्चिल ही लड़ सकता था। वह भी हिटलर के ही ढंग का आदमी था; उसमें कोई फर्क न था। हिटलर को हराना जिन लोगों ने किया उनकी सबकी जीवन-चेतना वह बदल गया। वह सारी दुनिया में हार कर भी फैसिज्म की ताकतों को बढ़ावा दे गया। दुनिया में करीब-करीब सब जगह लोकतंत्र की जड़ें हिल गईं, और सब जगह अधिनायकशाही प्रविष्ट हो गई। _ अभी बंगला देश में यह घटना घटी। आजादी आए देर नहीं हुई, लोकतंत्र की हत्या हो गई। मुजीबुर्रहमान अधिनायक हो गए। कहते वे यही हैं अभी कि बुराई को मिटाना है। लेकिन बुराई को मिटाने में तुम्हें बुरा होना पड़ता है। लेकिन तुम थोड़े दिन में भूल ही जाओगे कि बुराई मिटी या न मिटी। कभी बुराई मिटी नहीं है आज तक। इसलिए अब इस अधिनायकशाही का अंत कब होगा? बुराई कभी मिटेगी नहीं और अधिनायक कहेगा, अभी बुराई मिटी नहीं इसलिए मुझे अधिनायक रहना है। और जैसे-जैसे अधिनायकशाही मजबूत होती जाएगी वैसे-वैसे वह स्वभाव बन जाएगी। सारी दुनिया में स्वागत किया गया, क्योंकि मुजीबुर्रहमान कहते हैं कि यह दूसरी क्रांति है। यह क्रांति की हत्या है; यह दूसरी क्रांति नहीं है। क्रांति हो भी न पाई थी कि मर गई। बच्चा मरा हुआ ही पैदा • हुआ। और सारी दुनिया में ऐसा हुआ है। लेकिन आदमी इतिहास को दोहराए चला जाता है। स्टैलिन चाहता था कि रूस का छुटकारा जार से हो जाए और स्टैलिन जार जैसा हो गया छुटकारे में। तुम जिस तरह की जीवन-व्यवस्था को तोड़ना चाहते हो तुम भी वैसे हो जाओगे। 234
SR No.002376
Book TitleTao Upnishad Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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