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________________ स्वादहीन का स्वाद लो गए। तुमने तलवार निकाल ली। अभी भी वक्त है, निकली तलवार म्यान में वापस जा सकती है। लेकिन वृक्ष काफी बड़ा हो गया है। तलवार बाहर निकाल ली हो तो वापस डालना बहुत मुश्किल हो जाता है। क्योंकि क्या कहेगी दुनिया अब? इतने दूर आ गए और अब तलवार निकाल ली और अब भीतर डाल रहो हो, लोग हंसेंगे। अब अहंकार दांव पर लगा जा रहा है। लेकिन तलवार भी वापस डाली जा सकती है। . लेकिन तुमने तलवार ही उठा ली और दूसरे की गर्दन पर ही पहुंच गई। और मुश्किल हुआ जा रहा है। दूसरे की गर्दन पर से तलवार लौटानी बहुत असंभव हो जाएगी। क्योंकि एक क्षण में हो जाती है घटना। उतना तुम्हें होश कहां? ___ लाओत्से कहता है, कठिन से तभी निबट लो जब वह सरल हो; बड़े से तभी निबट लो जब वह छोटा हो। संसार की कठिन समस्याएं हल हो सकती हैं...। तुम्हारे जीवन की कठिनतम समस्या हल हो सकती है। लेकिन तुम सरल से निबटो। तुम सलाह लेने तब जाते हो जब मामला बिलकुल बिगड़ जाता है। जब मरीज बिलकुल मरने के करीब होता है तब तुम डाक्टर को बुलाते हो। 'संसार की महान समस्याएं तभी हल की जाएं जब वे छोटी हों। इसलिए संत सदा बड़ी समस्याओं से निबटे बिना ही महानता को संपन्न करते हैं।' । क्या मतलब? संत बड़ी समस्याओं से निबटे बिना ही महानता को संपन्न करते हैं; क्योंकि वे किसी समस्या को बड़ा होने ही नहीं देते। इसलिए कोई बड़ी समस्या से संत कभी नहीं झगड़ता; वह हमेशा छोटी-छोटी चीजों से झगड़ता है। और जितनी समझ बढ़ती जाती है उतनी झगड़े की जरूरत नहीं रह जाती; क्योंकि वह पूर्ण-निवारण करने में कुशल हो जाता है। वह दुश्मन के आने के पहले ही मैत्री स्थापित कर लेता है। वह गाली आने के पहले ही आशीर्वाद तैयार कर लेता है। तुम्हारी घृणा आए, उसके पहले ही वह द्वार पर सुस्वागतम् लिख लेता है। उसकी तैयारी पूर्व से है। 'जो फूहड़पन के साथ वचन देता है, उसके लिए अक्सर वचन पूरा करना कठिन होगा। जो अनेक चीजों को हलके-हलके लेता है, उसे अनेक कठिनाइयों से पाला पड़ेगा।' • अगर तुमने छोटी समस्याओं को छोटा समझा तो जल्दी ही वे बड़ी हो जाएंगी। उनको बड़े होने का मौका मत दो। छोटी समस्याओं को बड़ी समझो; जल्दी उनसे निबट लो। और होश में सोचो। अन्यथा तुम बहुत सी बातें कहते हो करेंगे, लेकिन बेहोशी में कहते हो। वचन देते हो करने का, लेकिन बिना समझे देते हो कि तुम क्या कह रहे हो। . जीसस ने कहा है। एक बाप के दो बेटे थे। खेत में काम था। बाप ने बड़े बेटे को कहा कि तू खेत पर जा और यह काम जरूरी है। उसने कहा कि मैं न जा सकूँगा; मैं दूसरे कामों में उलझा हूं। क्षमा करें। दूसरे बेटे से कहा कि तो तू जा; खेत पर काम जरूरी है। उसने कहा, मैं अभी जाता हूं, पिताजी। यह गया। एक मेहमान घर में बैठा था। उसने कहा, तुम्हारा बड़ा बेटा अनाज्ञाकारी है; तुम्हारा छोटा बेटा आज्ञाकारी है। उसके बाप ने कहा, सांझ पता चलेगा। सांझ को मेहमान ने पूछा कि समझा नहीं मैं, क्या मामला है? अब बताओ, क्या पता चलेगा? बड़ा बेटा पहुंचा; छोटा नहीं पहुंचा। छोटा बेटा वचन देने में कुशल है, करने में नहीं। बड़ा बेटा वचन नहीं देता, लेकिन करने में कुशल है। जो वह नहीं कर सकता, उसको तो वह कहता है, नहीं कर सकूगा; फिर भी कोशिश करता है करने की। छोटा बेटा, जो कर ही नहीं सकता, उसको भी कहता है, हां। अभी, यह गया। मगर वह जाने वाला नहीं है। जीसस ने कहा है, परमात्मा के सामने तुम्हारी आस्तिकता का मूल्य नहीं है कि तुमने हां कहा, न तुम्हारी नास्तिकता का मूल्य है कि तुमने न कहा; असली बात तो इससे तय होगी कि तुमने किया या नहीं किया। 353
SR No.002375
Book TitleTao Upnishad Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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