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________________ विश्व शांति का सूत्र सहजता व सरलता 119 कोई बचाव नहीं है। और आपने ही रस पैदा किया। आपने ही इसको उकसाया, भड़काया। और आप सोच रहे हैं, आपने सुधारने के लिए किया था; आपने रोका था। आपने भला बनाने के लिए किया था। हम जो भी रुकावट डालते हैं उससे दूसरे के अहंकार को चोट पड़ती है। और दूसरे के अहंकार को चोट पड़ी कि अहंकार बदला लेना चाहता है। वह विपरीत जाएगा। लाओत्से कहता है कि इस भांति सरलता से जो रूपांतरण हो लोगों का तो फिर उनका जीवन अनाम पुरातन सरलता से भर जाए। जिसका कोई नाम नहीं है, उस सरलता से भर जाए। और उनके जीवन से वासना तिरोहित हो अपने आप क्यों ? क्योंकि वासना है स्पर्धा । वासना है दूसरे से आगे निकलने की दौड़ । वासना है महत्वाकांक्षा । वासना अहंकार का ही फैलाव है। अगर आप सरल हो जाएं तो वासना, स्पर्धा अपने आप गिर जाए। एक मित्र मेरे पास आते हैं, कहते हैं, शांत होना है। मैं पूछता हूं, किसलिए शांत होना है? तो वे कहते हैं, बड़ी उलझन में पड़ा हूं। एक राज्य के शिक्षा मंत्री हैं। तो वे कहते हैं, रात नींद नहीं आती, दिन चैन नहीं है; बड़ा काम है, बड़ी उलझन है। तो कुछ ऐसा ध्यान दें कि मैं शांत हो जाऊं। मैंने कहा कि अगर आप शांत हो जाएं तो फिर क्या करेंगे? मैंने कहा, ईमानदारी से मुझे कह दें। तो उन्होंने कहा, अब आप जब पूछते हैं तो आपसे क्या छिपाना ! बड़ा उपद्रव चल रहा है राज्य में मेरे भी मौके हैं चीफ मिनिस्टर हो जाने के। लेकिन मैं इतना अशांत हूं कि मेहनत ही नहीं कर पा रहा हूं; इसी में उलझा रहता हूं; रात नींद नहीं आती, बीमार रहता हूं। जरा शांत हो जाऊं तो मैं भी लग जाऊं । तो मैंने उनको पूछा कि आप सोचते हैं, शांत हो जाएं तो चीफ मिनिस्टर होने में लग जाएं। लेकिन आप अशांत इसीलिए हैं कि चीफ मिनिस्टर होने में लगे हैं। और कौन कहता है कि आप शिक्षा मंत्री रहें? और इतने अशांत होकर आपके शिक्षा मंत्री होने से कौन सी शिक्षा का विस्तार होगा? कौन आपको परेशान कर रहा है? कोई आपको धक्के नहीं दे रहा है कि शिक्षा मंत्री हो जाएं। बल्कि कई लोग आपको इस परेशानी से मुक्त करने की कोशिश में लगे हैं कि आप हट जाएं तो यह परेशानी वे ले लें। कई लोग सेवा के लिए तैयार हैं। कई लोग चाहते हैं कि उनको रात नींद न आए। कई लोग चाहते हैं कि वे इतने परेशान हो जाएं जैसे आप हैं। कई लोग चाहते हैं कि फिर वे भी साधु-संन्यासियों के जाएं पास और पूछें कि महाराज, शांति का क्या उपाय है! आपको कौन रोक रहा है? कोई दुनिया में आपको रोकने वाला नहीं है। आप बिलकुल हट जाएं। नहीं, वे बोले कि यह तो जरा मुश्किल है। आप तो सिर्फ शांत होने का रास्ता बता दें। आदमी शांत भी इसलिए होना चाहता है ताकि और अशांति के उपद्रव गति से कर सके। कई बार ऐसा हो जाता है— कई बार क्या, निरंतर ऐसा होता है कि इस तरह के लोग पूरा जीवन गंवा देते हैं। उनको शांति के आनंद का कोई क्षण नहीं मिल पाता। वे सोचते हैं कि अभी मिनिस्टर हैं, कल चीफ मिनिस्टर हो जाएं तो शायद आनंद । जब वे मिनिस्टर नहीं थे, क्योंकि पहले वे डिप्टी मिनिस्टर थे, तब वे सोचते थे मिनिस्टर हो जाएं। मैंने कहा, कभी पीछे लौट कर अपने तर्क को भी सोचना चाहिए। पहले तुम सिर्फ एम एल ए थे, तब भी तुम मेरे पास आते थे; तब तुम डिप्टी मिनिस्टर होने की तरकीब में लगे थे। फिर तुम डिप्टी मिनिस्टर हो गए, फिर तुम मिनिस्टर होने की तरकीब में लगे थे। अब तुम मिनिस्टर भी हो गए। वे बोले, इसीलिए तो आशा बंधती है कि अगर कोशिश जारी रखूं तो चीफ मिनिस्टर भी हो ही जाऊंगा। मैंने कहा, बिलकुल हो जाओगे, लेकिन जीवन हाथ से जा रहा है। और चीफ मिनिस्टर होने से स्पर्धा तो रुकेगी नहीं, वासना तो ठहरेगी नहीं। वह कहेगी कि अब चलो सेंटर की तरफ, केंद्र की तरफ, दिल्ली की तरफ। फिर वहां दौड़ का सिलसिला है। और वहां जो हैं उनकी हालत ! मेरे पास लोग आते हैं; वे कहते हैं, बड़ी हैरानी की बात है! कहीं भी कोई साधु हो, मदारी हो, कुछ भी हो, ज्योतिषी हो, प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति, गवर्नर, सब उसकी सेवा में हाजिर हो जाते हैं। क्या कारण होगा ?
SR No.002374
Book TitleTao Upnishad Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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