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________________ ताओ उपनिषद भाग ३ घूमो; बाएं घूमो, दाएं घूमो; बायां पैर ऊंचा करो, दायां नीचा करो! हम क्या करवा रहे हैं उससे? वर्षों तक हम उससे यह क्यों करवा रहे हैं? इसके पीछे एक पूरा मनोविज्ञान है। क्योंकि जो आदमी वर्षों तक बाएं घूमो, दाएं घूमो करता रहेगा, वह धीरे-धीरे कंडीशंड हो जाएगा। आज्ञा, और उसके भीतर कोई विचार नहीं उठेगा, कृत्य। आज्ञा और कृत्य के भीतर विचार नहीं होगा। बाएं घूमो! तो सैनिक सोचता नहीं कि मैं घूमूं या न घूमूं? या कि घूमने का कोई लाभ है? या क्यों व्यर्थ घुमा रहे हो? न, इस सबकी सुविधा उसे नहीं है। उसे सिर्फ घूमना है। तो जब उससे कहा जाता है : गोली चलाओ! तो वह चलाता है। तब वह सोच नहीं सकता कि मैं क्यों चलाऊं? या सामने जिसे मैं मार रहा हूं, उसे मारना जायज है? या मैं कौन हूं जो उसे मारूं? और मैं क्या पा रहा हं मार कर? कोई सौ रुपए, दो सौ रुपए की महीने की नौकरी पा रहा है एक सैनिक। अपनी रोटी के लिए वह हत्या का धंधा कर रहा है। वह हजार लोगों को काट सकता है। जिस आदमी ने हिरोशिमा पर एटम गिराया, उससे बाद में जब पूछा गया, तो उसने कहा कि मैंने तो सिर्फ आज्ञा का पालन किया, मेरा और कोई जिम्मा नहीं है। जब उस आदमी से पूछा गया कि तुम रात सो सके हिरोशिमा पर एटम गिरा कर? तो उसने कहा, मैं बिलकुल आनंद से सोया, क्योंकि मैं ' अपना काम पूरा कर आया था। ड्यूटी पूरी हो गई थी, फिर मैं सो गया। वहां एक लाख बीस हजार आदमी जल कर राख हो गए-इस आदमी के गिराने से। अगर यह आदमी सोचे कि मैं पा क्या रहा हूं-तीन सौ रुपए महीना, कि पांच सौ रुपए महीना कि मैं रोटी ही तो कमा रहा हूं, रोटी तो भिखमंगे भी सड़क पर भीख मांग कर कमा लेते हैं, तो मैं एक लाख बीस हजार आदमियों की हत्या करने का रोटी कमाने के लिए कारण बनूं? तो शायद यह आदमी कहे कि नहीं, यह आज्ञा मानने से मैं इनकार करता हूं। लेकिन यह मौका नहीं आएगा। अगर हम किसी आदमी को सीधा एटम बम गिराने भेज दें तो आएगा। इसलिए वर्षों हम इसको लेफ्ट-राइट कराते हैं, इसके सोचने की क्षमता को मारते हैं, इसके भीतर बुद्धि को क्षीण करते हैं। यह यंत्रवत हो जाता है। विलियम जेम्स मजाक में कहा करता था कि एक दिन ऐसा हुआ कि वह एक होटल में बैठ कर अपने मित्रों से कुछ बात कर रहा था। बड़ा मनोवैज्ञानिक था अमरीका का और वह कह रहा था कि आदमी कैसे संस्कारित, कंडीशंड हो जाता है। और तभी एक रिटायर्ड सैनिक सड़क से गुजर रहा था अंडे अपने सिर पर लिए। और विलियम जेम्स ने एक जिंदा उदाहरण देने के लिए चिल्ला कर कहा, अटेंशन! सावधान! वह आदमी, जो कि रिटायर्ड था कोई दस साल से, उसकी अंडे की टोकरी नीचे गिर गई और वह अटेंशन खड़ा हो गया। जब वह खड़ा हो गया, तब उसे समझ में आया कि अरे! बहुत नाराज हुआ और उसने कहा, क्या मजाक करते हैं, सब अंडे फूट गए। पर विलियम जेम्स ने कहा कि तुम्हें हक था, तुम अटेंशन न करते। पर उसने कहा कि वह हक तो हम खो चुके। दस साल हो गए छोड़े हुए नौकरी, लेकिन यंत्रवत। तुमने कहा तो सोचने का मौका ही नहीं रहा कि...। नहीं करने का सवाल ही नहीं उठता। और हमने किया, यह कहना ठीक नहीं है; अटेंशन हो गया-यंत्रवत। तो सैनिक की तैयारी है यंत्रवत।। मनुष्य का जो सर्वाधिक पतन हो सकता है, वह यंत्र है। पशु मनुष्य का पतन नहीं है, बड़ा पतन नहीं है। आदमी दो सीढ़ियां नीचे गिर सकता है; आदमी चाहे तो पशु हो सकता है। लेकिन पशु की भी एक गरिमा है। क्योंकि पशु भी सोचता तो है थोड़ा; पशु भी अनुभव तो करता है थोड़ा; पश भी निर्णय तो लेता है कभी। आपका कुत्ता है; उसे भूख भी लगी हो, लेकिन आप बेमन से दुतकार कर रोटी डाल दें, तो वह भी रोटी खाने को तैयार नहीं होगा। |362||
SR No.002373
Book TitleTao Upnishad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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