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श्रेष्ठ, जगन दहा
नीबटो, तो पूरी प्रकृति भी उसको बचाने में साथ देती है। लाओत्से की पूरी परंपरा नष्ट छोने के करीब है। इसलिए दुनिया में बहुत तरह की कोशिश की जाएगी कि वह परंपरा नष्ट न हो पाए, उसके बीज की आँन अंकुरित हो जाएं, कहीं ऑन स्थापित हो जाए। मैं जो बोल नसा वह भी उस बड़े प्रयास का एक हिस्सा है।
ओशो