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Chapter 15 : Part 1
The Wise Ones Of Old
The skillful masters (of the Tao) in old times, with a subtle and exquisite penetration, comprehended its mysteries, and were so deep that they eluded man's knowledge. As they were thus beyond man's knowledge, I will make an effort to describe of what they appeared to be. Cautious, like crossing a wintry stream; Irresolute, like one fearing danger all around; Grave, like one acting as a guest; Self-effacing, like ice beginning to melt; Unpretentious, like wood that has not been carved. Vacant like a valley, and dull like muddy water.
अध्याय 15 : खंड 1
प्राचीन समय के संताजन
प्राचीन समय में ताओ में प्रतिष्ठित एवं निष्णात संतजन सूक्ष्म और अति संवेदनशील अंतर्दृष्टि से उसके रहस्यों को समझने में सफल हुए। और वे इतने गठन थे कि मनुष्य की समझ के परे थे। और चूंकि वे मनुष्य के ज्ञान के परे थे, इसलिए उनके संबंध में इस प्रकार कुछ कहने का प्रयास किया जा सकता है कि वे अत्यंत सतर्क व सजग है, जैसा कोई शीत-ऋतु में किसी नाले को पार करते समय हो, वे सतत अनिणीत व चाँकन्ने रहते है, जैसा कि कोई व्यक्ति जो कि सब ओर खतरों से घिरा ठो, वे जीवन में जैसे कि अतिथि हों, ऐसा गंभीर अभिनय करते हैं। उनकी अस्मिता सतत विसर्जित होती रहती हैं, जैसे कि प्रतिपल बिखरता हुआ बर्फ ठो, वे अपने बारे में किसी प्रकार की घोषणा नहीं करते, जैसे कि वह लकड़ी, जिसे अभी कोई भी रूप नहीं दिया गया है, वे एक घाटी की भांति रिक्त और मटमले जल की भांति विनम होते हैं।