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________________ ताओ की साधना-योग के संदर्भ में उस फकीर ने कहा कि क्या तुम समझते हो यह महल है? सम्राट से उसने पूछा कि क्या तुम समझते हो यह महल है? और अगर गलत बोले, तो ऐसा अभिशाप दूंगा कि यहीं श्वास बंद हो जाएगी। सम्राट ने चारों तरफ गौर से देखा कहने के पहले, सिवाय कचरा-कबाड़ के वहां कुछ भी नहीं था। उसको भी लगा कि इसको कैसे महल कहें? इसे महल कैसे कहें, यह महल है? और झूठ भी नहीं बोल सकते। और ऐसे तो यह भी महल का हिस्सा है। उसने फकीर से कहा कि तुमने मुझे मुश्किल में डाल दिया। फकीर ने कहा, हम कुछ भी नहीं कर रहे हैं, हम वही तर्क का उपयोग कर रहे हैं, जिससे तुम अपने वजीरों को मुश्किल में डालते रहे। अब तुम कृपा करके एक काम करो, यह महल है या नहीं, कुछ तय नहीं होता। क्योंकि वजीर जवाब नहीं दे पाते; तुम भी जवाब नहीं दे पाते। तुम मेरे साथ ऊपर आओ। हम उस पूरी जगह को देख लें, जिसके संबंध में दावा है महल होने का। फिर पीछे निर्णय कर लेंगे। लाओत्से यही कह रहा है। वह यह नहीं कह रहा है कि केंद्र आपका कहां है, यह कोई तय करना है! वह तय ही है। लेकिन जरा आप नीचे उतर आओ और एक बार उस केंद्र को देख लो। फिर कुछ तय नहीं करना पड़ेगा कि केंद्र कहां है और क्या है। और यह नीचे उतर आना एक वापसी है, जस्ट ए कमिंग बैक, बैक टु होम। घर की तरफ वापसी है। तो लाओत्से कहता है, यह कोई साधना भी क्या है! अपने घर वापस लौट रहे हैं, जो सदा से अपना है। यह कोई क्रिया भी नहीं है। लेकिन फिर भी आदमी जैसा है, जिस उलझन में है, वहां उसे किसी क्रिया के बहाने की जरूरत है। कोई बहाना उसे मिल जाए। वह फकीर बहाना बन गया। सम्राट ऊपर चला गया। और उसने फिर नीचे जाने से इनकार कर दिया। और उसने कहा कि सारी दुनिया उसे कहे कि महल है, अब मैं वहां वापस जाने को नहीं हूं। मैं भूल ही गया था कि महल ऊपर है; मैं भूल ही गया था। सिर्फ विस्मरण है। सिर्फ विस्मरण है। एक मौका चाहिए स्मरण का। एक सुविधा चाहिए। उस सुविधा का नाम साधना है। वह नकारात्मक है। आपको किसी मित्र का नाम याद नहीं आ रहा। आप सिर पचाए डाल रहे हैं, सिर ठोंक रहे हैं, माथा रगड़ रहे हैं, नाम याद नहीं आ रहा। मैं आपसे कहता हूं कि ऐसा करो, जरा इसे छोड़ो। मैं तुम्हें एक साधना बताता हूं, जिससे मित्र का नाम याद आ जाएगा। वह पूछता है, क्या साधना? तो मैं उससे कहता हूं, तुम जरा अपनी खुरपी उठा लो और जाकर बगीचे में थोड़ी मिट्टी खोदो। वह भी कहेगा कि आप पागल हो गए हैं, क्योंकि बगीचे में जाकर मिट्टी खोदने से और मित्र के नाम के याद आने का क्या संबंध है? मैं उससे कहता हूं, तुम फिक्र छोड़ो, तुम जाकर मिट्टी खोदो। वह मिट्टी खोदने लगता है-अचानक मित्र का नाम याद आ जाता है। क्या खुरपी और मिट्टी खोदने से मित्र का नाम याद आ गया? इज़ देयर एनी कॉजल लिंक? कोई कार्य-कारण का संबंध है? नहीं, लेकिन फिर भी संबंध है। असल में, जब वह मिट्टी खोदने में लग गया, तो एक स्थिति पैदा हुई, जिसमें मन का तनाव चला गया। जब वह कोशिश कर रहा था कि नाम याद आए, तो वह इतना तन गया था, इतना संकरा हो गया था कि उसमें से नाम आ भी नहीं सकता था। हम अनेक बार कहते हैं कि जीभ पर रखा हुआ है। अब जब जीभ पर ही रखा हुआ है, तो अब और क्या दिक्कत है, निकालिए! लेकिन आप कहते हैं, जीभ पर रखा हुआ है, और निकल नहीं रहा। आपकी जीभ पर रखा है या किसी और की जीभ पर रखा है? और आपको पक्का पता है; आप कहते हैं, मुझे पता है कि बिलकुल जीभ पर रखा हुआ है, याद आ रहा है। फिर भी क्या गड़बड़ हो रही है? इतने तन गए हैं आप, इतने तनाव से भर गए हैं कि चेतना का रूप बिलकुल संकरा हो गया है। उसमें से एक नाम भी नहीं निकल पा रहा। वह नाम रखा हुआ है, आपको बिलकुल उसकी धड़कन मालूम पड़ रही है, वह नाम आपको छू रहा है। आपको सब कुछ मालूम पड़ रहा है 129
SR No.002372
Book TitleTao Upnishad Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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