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हो जाता है उसके आस-पास। अगर यह बहुत ज्यादा हो जाए, तो रात नींद भी नहीं आ सकती; क्योंकि इसका तनाव रात भर पकड़े रहेगा। इसका तनाव भीतर प्रवेश कर जाएगा। स्नायु शिथिल नहीं हो पाएंगे, उनमें खून दौड़ता ही रहेगा। जैसे-जैसे आदमी सभ्य होता है, उतना-उतना अहंकार और उतनी-उतनी ही निद्रा क्षीण होती चली जाती है।
अहंकार वस्तु नहीं है। लाओत्से के हिसाब से अहंकार एक घटना है। और घटना भी कहना ठीक नहीं, ज्यादा ठीक होगा: ए सीरीज ऑफ ईवेंट्स, घटनाओं का एक क्रम। कहीं से भी क्रम तोड़ दिया जाए, तो घटना अभी टूट सकती है। सच बात यह है कि हम उसे नई गति और नई शक्ति न दें।
हम उसे शक्ति और गति देते कैसे हैं? हमारी व्यवस्था क्या है?
हमारी व्यवस्था यह है कि हम चौबीस घंटे इसी कोशिश में रहते हैं, कैसे अहंकार को ज्यादा तेल मिल जाए। तेल देने के कई रास्ते हैं। जो बड़े से बड़ा रास्ता है, वह यह है कि लोगों का ध्यान मेरी तरफ आकर्षित हो। अहंकार के लिए जो बड़े से बड़ा तेल है, वह है लोगों का ध्यान मेरी तरफ आकर्षित हो, लोग मेरी तरफ देखें। इसलिए राजनीति इतनी प्रभावी हो जाती है। और दुनिया इतनी धीरेधीरे राजनैतिक होती चली जाती है। उसका कारण है कि राजनीति जितने जोर से चित्त को लोगों को आकर्षित करवा लेती है, उतनी और कोई चीज आकर्षित नहीं करवा पाती।
ढेर लोग अदालतों में बयान दिए हैं कि उन्होंने सिर्फ इसलिए हत्या की कि अखबारों में पहले नंबर पर उनका नाम छप जाए बड़े हेडिंग में। और कोई आकर्षण न था। कोई आदमी हत्या कर सकता है इसलिए कि अखबार में सु/ उसके नाम की हो! अखबार में चित्र तो एक दफा छप जाए उसका! सारी निया उसे देख ले!
लोगों के देखने में ऐसा क्या रस होता होगा? जब हजार आंखें आपको देखती हैं, तो आपके अहंकार को बड़ा तेल मिलता है। दूसरों का ध्यान आपके अहंकार का तेल बनता है। बहुत सटल, बहुत सूक्ष्म मादकता है दूसरों की आंखों में। वे अगर आपको देखते हैं, तो उससे आपके अहंकार को रस उपलब्ध होता है, गति उपलब्ध होती है।
अगर अहंकार को विसर्जित करना है, तो दूसरा उपाय है: दूसरे पर ध्यान दें। इसलिए जब भी आप कभी दूसरे पर ध्यान देते हैं, तो आपको बहुत हलकापन लगता है। जिसको हम प्रेम कहते हैं, वह कुछ और नहीं है, वह दूसरे पर ध्यान देना है। जब आप किसी के प्रेम में होते हैं, तो मन बहुत हलका मालूम पड़ता है। जिसको आप प्रेम करते हैं, वह आपके पास होता है, तो आप बिलकुल निर्भार हो गए होते हैं। पंख लग जाते हैं, आकाश में उड़ जाएं, फैल जाएं। क्यों? क्योंकि जिसे आप प्रेम करते हैं, उसको आप ध्यान देते हैं। स्थिति बदल जाती है। आप ध्यान देते हैं। एक नए तरह की केयरिंग, एक दूसरे की तरफ ध्यान देने की चिंता पैदा होती है।
मां जब अपने बेटे पर ध्यान दे रही होती है, तब अपने को बिलकुल भूल गई होती है। क्योंकि ध्यान जो है, वह वन वे ट्रैफिक है। या तो आप अपने पर ध्यान दे सकते हैं, या दूसरे पर ध्यान दे सकते हैं। जब आप दूसरे पर देते हैं, तो आप भूल गए होते हैं। जब अपने पर दे रहे होते हैं, तो दूसरा भूल गया होता है।
और हम सब इस कोशिश में रहते हैं कि लोग हम पर ध्यान दें। हम हजार तरह के उपाय करते हैं इस बात के लिए कि लोग ध्यान दें। कोई आदमी सम्राट होना चाहता है इसलिए कि लोग ध्यान दें। कोई आदमी राष्ट्रपति होना चाहता है इसलिए कि लोग ध्यान दें। अगर ये उपाय उपलब्ध न हों, तो आदमी बुरा भी हो जाता है। अगर भला मार्ग न मिले, तो आदमी बुरा भी हो जाता है। हत्यारा हो जाता है, गुंडा हो जाता है कि लोग ध्यान दें। स्कूल में विद्यार्थी शैतानी करने लगते हैं कि लोग ध्यान दें; मिसचीवियस हो जाते हैं कि लोग ध्यान दें।
इसलिए शिक्षकों के हाथ की एक पुरानी तरकीब है कि जो विद्यार्थी ज्यादा से ज्यादा उपद्रव कर रहा हो, उसे अगर कैप्टन बना दिया जाए, तो उपद्रव करना बंद कर देता है। कोई और कारण नहीं है; क्योंकि जिस वजह से वह उपद्रव कर रहा था, वह कैप्टन बनाने से पूरी हो जाती है। वह ध्यान आकर्षित कर रहा था। वह कह रहा था, मैं भी यहां हूं। मैं ऐसा निगलेक्टेड नहीं जी सकता हूं। इस कमरे में मेरी प्रतीति सबको एहसास होनी चाहिए कि मैं यहां हूं। मेरा होना सबको पता होना चाहिए। वह ठीक मार्ग भी चुन सकता है, अगर मार्ग उपलब्ध हों। अगर मार्ग उपलब्ध न हों, तो वह गलत मार्ग भी चुन सकता है।
अमरीका में आज हिप्पी हैं, बीटल और पच्चीस तरह के नए उपद्रव हैं। उन उपद्रवों का सबसे महत्वपूर्ण कारण यही है कि अमरीका में जो हायरेरकी खड़ी हो गई है पद की, धन की, व्यवस्था की, नए युवकों को कोई भी आशा नहीं है कि वे इस हायरेरकी पर चढ़ सकेंगे। नए युवक को कोई भरोसा नहीं बैठता कि वह निक्सन की जगह पहुंच पाएगा, या फोर्ड हो सकेगा, या मार्गन, या राकफेलर हो सकेगा। कोई फिक्र नहीं। लेकिन वह सड़क पर उलटे-सीधे कपड़े पहन कर तो खड़ा हो ही सकता है। बिना स्नान किए गंदगी में जी तो सकता है। और तब निक्सन को भी उस पर ध्यान देना पड़ता है। तब मजबूरी हो जाती है, उस पर ध्यान देना ही पड़ेगा। लेकिन वह जो भी कर रहा है, वह केवल ध्यान आकर्षित करने की व्यवस्था और कोशिश है। अहंकार ध्यान मांगता है। ठीक न मिले, गलत ढंग से मांगता है।
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