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गुरू उन्हें दशवैकालिक सूत्र के चौथे अध्ययन की वांचना दें। इस प्रकार चारों अध्ययन की वांचना पूर्ण होने पर दो वांदणा दें।
खमा. देकर कहें- अविधि आशातना मन वचन काया से मिच्छामि दुक्कडम्। अनुयोग समापन विधि
इस प्रकार आवश्यक या दशवकालिक या दोनों की योगोद्वहन के अनुसार अनुयोग विधि पूर्ण होने के बाद यह विधि करें
शिष्य- खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् अनुयोगं पडिक्कमामि। गुरू- पडिक्कमेह। शिष्य- इच्छं।
..खमा, इच्छाकारेण संदिसह भगवन् अनुयोग पडिक्कमणत्थं काउसग्गं करेमि। गुरू- करेह। शिष्य- इच्छं अनुयोग पडिक्कमणत्यं काउसग्गं करेमि काउसग्गं अनत्थ. कहकर एक नवकार का कायोत्सर्ग करें व पारकर प्रगट नवकार बोलें। फिर गुरू महाराज को वंदना करें।
(इति अनुयोग विधि)
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232 / योग विधि