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चतुर्वर्णाय संघाय देवी भवनवासिनी। निहत्य दुरितान्येषा करोतु सुखमक्षतम्॥8॥
श्री क्षेत्र देवता आराधनार्थं करेमि काउसग्गं अन्नत्थ. एक नवकार. नमोऽर्हत्. स्तुति
यासां क्षेत्रगताः सन्ति, साधवः श्रावकादयः। जिनाज्ञां साधयन्त्यस्ता, रक्षन्तु क्षेत्रदेवताः॥9॥
श्री अम्बिकादेवी आराधनार्थं करेमि काउसग्गं अन्नत्थ. एक नवकार. नमोऽर्हत्. स्तुति
अम्बा निहतडिम्बा मे, सिद्धबुद्धसुतान्विता। सिते सिंहे स्थिता गौरी, वितनोतु समीहितम्॥10॥
श्री पदमावती देवी आराधनार्थं करेमि काउसग्गं अनत्थ. एक नवकार. नमोऽर्हत्. स्तुति
धराधिपतिपत्नी या, देवी पद्मावती सदा। क्षुद्रोपद्रवतः सा मां, पातु फुल्लत्फणावलिः॥11॥
श्री चक्रेश्वरी देवी आराधनार्थं करेमि काउसग्गं अन्नत्थ. एक नवकार. नमोऽर्हत्. स्तुति
चंचच्चक्रकरा चारू- प्रवाल दल सन्निभा। - चिरं चक्रेश्वरी देवी नन्दतादवताच्च माम्॥12॥
श्री अच्छुप्तादेवी आराधनार्थं करेमि काउसग्गं अन्नत्थ. एक नवकार.' नमोऽर्हत्. स्तुति
खड्ग खेटक कोदण्ड बाण पाणिस्तडिद्युतिः। तुरंग गमना च्छुप्ता, कल्याणानि करोतु मे13॥
श्री कबेरा देवी आराधनार्थं करेमि काउसग्गं अन्नत्थ. एक नवकार. नमोऽर्हत्. स्तुति
मथुरापुरी सुपार्श्व श्री पार्श्वस्तूप रक्षिका। श्री कुबेरा नरारूढा, सुतांकावतु वो भयात्॥14॥
श्री ब्रह्मशान्ति यक्ष आराधनार्थं करेमि काउसग्गं अन्नत्थ. एक नवकार. नमोऽर्हत्. स्तुति
ब्रह्मशान्तिः स मां पाया- दपायाद् वीरसेवकः। श्रीमत्सत्यपुरे सत्या, येन कीर्तिः कृता निजा15॥
श्री गोत्र देवता आराधनार्थं करेमि काउसग्गं अन्नत्थ. एक नवकार. नमोऽर्हत्. स्तुति
218 / योग विधि