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मुहपत्ति का पडिलेंहण करें।
शिष्य - खमा. इच्छकारी भगवन् पसायकरी पडिलेहण पडिलावोजी । गुरू- पडिलेहेह । शिष्य- इच्छं ।
मुहपत्ति का पडिलेहण करें।
शिष्य- खमा इच्छाकारेण संदिसह भगवन् उपधि पडिलेहण संदिसाहुं । गुरू- संदिसावेह | शिष्य- इच्छं ।
शिष्य - खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् उपधि पडिलेहण करूँ। गुरू- करेह | शिष्य- इच्छं ।
शिष्य- अणुजाणह जस्सुग्गहो वोसिरामि वोसिरामि वो सिरामि । शिष्य- खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् इरियावहियं पडिक्कमामि । गुरू- पडिक्कमेह । शिष्य- इच्छं ।
इरियावही. तस्स. अन्नत्थ. एक लोगस्स का कायोत्सर्ग सागरवरगंभीरा तक करें, प्रकट लोगस्स कहें।
नंदी विधि
समवशरण की रचना कर उसमें चौमुख परमात्मा को बिराजमान करके की जानी चाहिये । यदि संभव न हो तो स्थापनाचार्यजी के समक्ष करे। स्थापनाजी खुला रखें।
आसन बिछावें, कमली दूर करें।
एक एक नवकार गिनते हुए तीन प्रदक्षिणा दें।
खमा इरियावही करें।
खमा इच्छाकारेण संदिसह भगवन् मुहपत्ति पडिलेहुं । गुरूपडिलेह । शिष्य - इच्छं ।
कहकर मुहपत्ति की पडिलेहण करें।
खमा. इच्छकारी भगवन्! तुम्हे अम्हं श्री दशवैकालिक सुयखंधं अणुजाणावणी नंदीकरावणी वासनिक्षेप करोजी । गुरू- करेमि । शिष्यइच्छं । कहकर तीन प्रदक्षिणा देते हुए गुरू महाराज तीन बार वासक्षेप ग्रहण करे। खमा इच्छ. भग.! तुम्हे अम्हं श्री दशवैकालिक सुयखंध अणुजाणावणी नंदीकरावणी देववंदावोजी । गुरू- वंदावेमि । शिष्य- इच्छं । कहकर बायां घुटना उँचा करें और अठारह थुई का देववंदन करें।
खमा इच्छा. संदि, भग. चैत्यवंदन करूँजी । इच्छं ।
योग विधि / 207