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नमोऽर्हत्. स्तुति
सुवर्णशालिनी देयाद्- द्वादशांगी जिनोद्भवा। श्रुतदेवी सदा मह्य मशेष श्रुतसम्पदम्।।7।।
श्री भवन देवता आराधनार्थं करमि काउसग्गं अनत्थ. एक नवकार. नमोऽहंत्. स्तुति
चतुर्वर्णाय संघाय देवी भवनवासिनी। निहत्य दुरितान्येषा करोतु सुखमक्षतम्॥8॥
श्री क्षेत्र देवता आराधनार्थं करमि काउसग्गं अन्नत्थ. एक नवकार. नमोऽर्हत्. स्तुति
यासां क्षेत्रगताः सन्ति, साधवः श्रावकादयः। जिनाज्ञां साधयन्त्यस्ता, रक्षन्तु क्षेत्रदेवता:॥9॥
श्री अम्बिकादेवी आराधनार्थं करमि काउसग्गं अनत्थ. एक नवकार. नमोऽहंत्. स्तुति
अम्बा निहतडिम्बा मे, सिद्धबुद्धसुतान्विता। . सिते सिंहे स्थिता गौरी, वितनोतु समीहितम्॥10॥
श्री पद्मावती देवी आराधनार्थं करमि काउसग्गं अन्नत्थ. एक नवकार. नमोऽर्हत्. स्तुति
धराधिपतिपत्नी या, देवी पद्मावती सदा। क्षद्रोपद्रवतः सा मां, पातु फुल्लत्फणावलिः॥11॥
श्री चक्रेश्वरी देवी आराधनार्थ करेमि काउसग्गं अन्नत्थ. एक नवंकार. नमा हंत. स्तुति
चंचच्चक्रकरा चारू- प्रवाल दल सनिभा। चिरं चक्रेश्वरी देवी नन्दतादवताच्च माम्।।12।।
श्री अच्छप्तादेवी आराधनार्थं करमि काउसग्गं अन्नत्थ. एक नवकार. नमोऽर्हत्. स्तुति
खड्ग खेटक कोदण्ड बाण पाणिस्तडिद्युतिः। तुरंग गमना च्छुप्ता, कल्याणानि करोतु मे॥13॥
श्री कुबेरा देवी आराधनार्थं कमि काउसग्गं अनत्थ. एक नवकार. नमोऽहंत्. स्तुति
मथुरापुरी सुपार्श्व श्री पार्श्वस्तूप रक्षिका। श्री कुबेरा नरारूढा, सुतांकावतु वो भयात्।।14॥ श्री ब्रह्मशान्ति यक्ष आराधनार्थं करेमि काउसग्गं अन्नत्थ. एक नवकार.
= योग विधि , 123