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________________ स्वामी मंदिर, टोंक फाटक, श्री संभवनाथ मंदिर, न्यू लाइट कॉलोनी, श्री वासुपूज्य मंदिर, मालवीय नगर, श्री नाकोडा मंदिर, प्राकृत भरती, श्री आदिनाथ आग्रा वाला मंदिर जौहरी बाझार एवं श्री महावीर स्वामी मुलतान मंदिर तथा श्री आदिनाथ भगवान बरखेडा तीर्थ, श्री देराउर पार्श्वनाथ जयपुर इत्यादि मंदिरों में अभिषेक होते रहे। अभिषेक द्वारा परमात्मा भक्ति और परमात्मा का सानिध्य, परमात्मा का स्पर्श और विशेष बात यह है कि सरल प्रक्रिया द्वारा प्रभु भक्ति का यह विधान बच्चे से लेकर वृद्धों तक को आनन्द दे गया और इसके आनन्द दायक परिणाम का भी लोगों ने अनुभव किया। अभिषेक विधि अभिषेक विधि में उपयोगी सामग्री की शुद्धि सुरीमंत्र - वर्धमान विद्या मंत्र अथवा तीन बार नवकार के स्मरण करके वासक्षेप द्वारा करनी है। जल शुधि : ॐ ह्रीं भः जलधिनदी द्रहकुन्डेषु यानि तीर्थोदकानि शुध्यति तेर्मन्त्र संस्कृतरिह बिम्बं स्नपयामि शुध्यर्थम् स्वाहा । आपा अप्काया एकेन्द्रियाः जीवाः निरवद्यार्हत्पूजायां निव्यर्थाः सन्तुनिरपायाः सन्तु सद्गतयः सन्तु मे नस्तू संघट्टन हिंसापापमर्हदचने स्वाहा । सर्वोषधि मन्त्र : ॐ ह्रीँ सर्वोषधि संयुक्ता सुगन्धया घर्षितं सुगतिहेतोः स्नपयामि जैनबिम्बं मन्त्रिण तन्नीर निवहेन स्वाहा । पुष्प फल आदि : ॐ वनस्पतिकाया एकेद्रियाः जीवाः निरविद्यार्हत् पूजायां निव्यर्थाः सन्तु निरपायाः सन्तु सद्गतयः सन्तु न मेऽस्तु संघट्टन हिंसाऽपापमर्हदूर्चने स्वाहा। कलश अधिवासन 21
SR No.002355
Book TitleParmatma ka Abhishek Ek Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJineshratnasagar
PublisherAdinath Prakashan
Publication Year
Total Pages106
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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