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दशवेकालिकस चम्.
किं मे परो पासइ ? किं च अप्पा ?
किं चाहं खलियं न विवज्जयामि ?" । इच्चेव सम्मं अणुपासमाणो
अणागयं नो पडिबन्ध कुज्जा ॥ १३ ॥
जत्थेव पासे कइ दुप्पउत्तं
काएण वाया अटु माणसेणं ।
तत्थेव धीरो पडिसाहरेज्जा
[अ० १२
आइबो खिप्पमिव क्खलीणं ॥ १४ ॥ जस्सेरिसा जोग जिइन्दियस्स
धिईम सप्पुरिसस्स निच्चं । तमाहु लोए, पडिबुद्ध जीवी", सो जीवई संजम - जीविएण ॥ १५ ॥ अप्पा हु खलु सययं रक्खियो सविन्दिएहिं सुसमाहिएहिं ।
अरक्खि जाइ पर्ह उवेड,
सुरक्खि सब-दुहाण मुञ्चइ ॥ १६ ॥ ति बेमि ॥