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दशवेकालिकसूत्रम्
अणुसोय-पट्टिए बहु-जणम्मि पडिसोय-लड-लक्खेणं। पडिसोयमेव अप्पा दायवो होउ कामेणं ॥ २ ॥ अणुसोय-सुहो लोगो, पडिसोओ आसवो सुविहियाणं । अणुसोओ संसारी, पडिसोओ तस्स उत्तारो ॥ ३ ॥ तम्हा आयार-परक्कमेण संवर- समाहि-बहुलेणं । चरिया गुणा य नियमाय होन्ति साहूण ददृब्वा ॥४॥ अणिएय-वासो समुयाण- चरिया अन्नाय उञ्छं पइरिक्कया य ।
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अप्पोवही कलह - विवज्जणा य
विहार- चरिया इसिणं पसत्था ॥ ५ ॥
आइ ओमाण-विवज्जणा य
ओसन्न-दिट्टाहड-भत्त-पाणे ।
संसट्ट-कप्पेण चरेज्ज भिक्ख
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तज्जाय-संसदृ जई जएज्जा ॥ ६ ॥ - मज्ज - मंसासि अमच्छरीयां
अभिक्खणं निर्गिया य । अभिक्खणं काउस्सग्ग-कारी, सझाय-जोगे पयओ हवेज्जा ॥ ७ ॥
न पडिन वेज्जा सयणासणाई
[अ० १२
2 H and Avach. अमच्छरो य.
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Bs पयरि०. ३ H and Avach. निर्विकृतिकश्च